पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/१२

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कागज पढ़ने के लिए तेजसिंह को इशारा किया। आज भूतनाथ का मुकदमा फैसला होने वाला है इसलिए भूतनाथ और कमला का रंज और तरदुद तो वाजिब ही है मगर इस समय भूतनाथ से सौगुनी बुरी हालत बलभद्रसिंह की हो रही है। चाहे सभी का ध्यान उस कागज के मुछे की तरफ लगा हो जिसे अब तेजसिंह पढ़ना चाहते हैं मगर बलभद्र सिंह का खयाल किसी दूसरी तरफ है। उसके चेहरे पर बदहवासी और परेशानी छाई है और वह छिपी निगाहों से चारों तरफ इस तरह देख रहा है जैसे कोई मुजरिम निकल भागने के लिए रास्ता ढूंढ़ता हो, मगर भैरोंसिंह को मुस्तैदी के साथ अपने ऊपर तैनात पाकर सिर नीचा कर लेता है।

हम यह लिख चुके हैं कि तेजसिंह पहले उन चिट्ठियों को पढ़ गये जिनका हाल हमारे पाठकों को मालूम हो चुका है, अब तेजसिंह ने उसके आगे वाला पत्र पढ़ना आरंभ किया जिसमें यह लिखा हुआ था-


"मेरे प्यारे दोस्त,

आज मैं बलभद्रसिंह की जान ले ही चुका था मगर दारोगा साहब ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया। मैंने सोचा था कि बलभद्रसिंह के खतम हो जाने पर लक्ष्मीदेवी की शादी रुक जायगी और उसके बदले में मुन्दर को भरती कर देने का अच्छा मौका मिलेगा मगर दारोगा साहब की यह राय न ठहरी। उन्होंने कहा कि गोपालसिंह को भी लक्ष्मी- देवी के साथ शादी करने की जिद हो गई है ऐसी अवस्था में यदि बलभद्रसिंह को तुम मार डालोगे तो राजा गोपालसिंह दूसरी जगह शादी करने के बदले कुछ दिन अटक जाना मुनासिब समझेंगे और शादी का दिन टल जाना अच्छा नहीं है, इससे यही उचित होगा कि बलभद्रसिंह को कुछ न कहा जाय, लक्ष्मीदेवी की माँ को मरे ग्यारह महीने हो ही चुके हैं, महीना-भर और बीत जाने दो, जो कुछ करना होगा शादी वाले दिन किया जायगा। शादी वाले दिन जो कुछ किया जायगा उसका बन्दोबस्त भी हो चुका है। उस दिन मौके पर लक्ष्मीदेवी गायब कर दी जायगी और उसकी जगह मुन्दर बैठा दी जायगी और उसके कुछ देर पहले ही बलभद्रसिंह ऐसी जगह पहुँचा दिया जायगा जहाँ से पुनः लौट आने की आशा नहीं है, बस, फिर किसी तरह का खटका न रहेगा। यह सब तो हुआ मगर आपने अभी तक फुटकर खर्च के लिए रुपए न भेजे। जिस तरह हो सके उस तरह बन्दोबस्त कीजिए और रुपए भेजिये, नहीं तो सब काम चौपट हो जायेगा, आगे आपको अख्तियार है।

वही भूतनाथ"

वीरेन्द्रसिंह--(भूतनाथ की तरफ देख के) क्यों भूतनाथ, यह चिट्ठी तुम्हारे हाथ की लिखी हुई है ?

भूतनाथ--(हाथ जोड़कर) जी हाँ महाराज, यह कागज मेरे हाथ का लिखा हुआ है।

वीरेन्द्रसिंह--तुमने यह पत्र हेलासिंह के पास भेजा था?