पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/१०३

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और फसादी लोग थे तथा चारों तरफ ऐसे ढंग से घूमा करते थे कि समय पड़ने पर जब भूतनाथ उन लोगों की खोज करता, तो विशेष परिश्रम किए बिना ही उनमें से कोई न कोई मिल ही जाता था, इसके अतिरिक्त भूतनाथ ने अपने लिए कई अड्डे भी मुकर्रर कर लिए थे, जहाँ उसके संग-साथियों में से कोई न कोई अवश्य रहा करता था और उन अड्डों में कई अड्डे ऐसे थे जिनका ठिकाना नानक को मालूम था। ऐसा ही एक अड्डा गयाजी से थोड़ी दूर पर बराबर की पहाड़ी के ऊपर था, जहाँ अपने बाप का पता लगाता हुआ नानक जा पहुँचा। उस समय भूतनाथ के साथियों में से तीन आदमी वहां मौजूद थे।

नानक ने उन लोगों से अपने बाप का हाल पूछा और जो कुछ उन लोगों को मालूम था उन्होंने कहा। इत्तिफाक से उसी समय मनोरमा को लिए हुए भूतनाथ भी वहाँ आ पहुंचा और अपने सपूत लड़के को देखकर बहुत खुश हुआ। भूतनाथ ने मनोरमा को तो अपने आदमियों के हवाले किया और नानक का हाथ पकड़ के एक किनारे ले जाने के बाद जो कुछ उस पर बीता था, सब ब्यौरेवार कह सुनाया।

नानक--(अफसोस के साथ मुंह बनाकर) अफसोस ! आपने इन बातों की मुझे कुछ भी खबर न दी ! अगर गोपीकृष्ण आपकी परेशानी का कुछ हाल मुझसे न कहते तो मुझे गुमान भी न होता।

भूतनाथ--खैर, जो कुछ होना था वह हो गया, अब तुम मनोरमा को लेकर वहाँ जाओ, जहाँ तुम्हारी माँ रहती है और जिस तरह हो सके, मनोरमा से पूछ कर बलभद्रसिंह का पता लगाओ, मगर एक आदमी को साथ जरूर लिए जाओ, क्योकि आज कल तुम्हारी माँ जिस ठिकाने रहती है यद्यपि वहाँ का हाल तुमसे हमने कह दिया मगर रास्ता इतना खराब है कि बिना आदमी साथ लिए तुम्हें कुछ भी पता न लगेगा।

नानक--जो आज्ञा, तो क्या इस समय आप सीधे रोहतासगढ़ जायेंगे?

भूतनाथ--हाँ जरूर जायेंगे, क्योंकि ऐसे समय में शेरअलीखाँ से मिलना आवश्यक है, मगर जब तक हम न आवें, तुम अपनी माँ के पास रहना और जिस तरह हो सके, बलभद्रसिंह का पता लगाना।

इसके बाद नानक को लिए हुए भूतनाथ फिर अपने आदमियों के पास चला आया और एक आदमी को धन्नू सिंह का पता बताकर (जिसे कैद करके कहीं रख आया था, कहा कि तुम धन्नूसिंह को यहाँ से लाकर हमारे घर पहुंचा दो और फिर इसी ठिकाने आकर रहो।

इन कामों से छुट्टी पाने के बाद भूतनाथ रोहतासगढ़ में शेरअलीखां के पास गया और वहाँ जो कुछ हुआ, सो हमारे प्रेमी पाठक पढ़ चुके हैं।



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दोपहर का समय है। हवा खूब तेज चल रही है। मैदान में चारों तरफ बगूले उड़ते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे समय में एक बहुत फैले हुए और गुंजान आम के पेड़ के