पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/३१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
30
 


'टेप' महाशय अपने चेहरे पर नकाब डाले हुए आते दिखाई दिये। दरवाजे के बाहर निकलते ही 'टेप' ने अपने चेहरे पर से नकाब हटा दी, सूरत देखते ही कुँअर इन्द्रजीतसिंह हँस पड़े और लपक के उनकी कलाई पकड़ कर बोले, "अहा, यह किसे आशा थी कि यहाँ पर राजा गोपालसिंह से मुलाकात होगी? (कमलिनी की तरफ देख कर) तो क्या इन्हीं ने अपना नाम 'टेप' रक्खा है?"

कमलिनी-जी हाँ।। इन्द्रजीतसिंह-(गोपालसिंह से) क्या आनन्दसिंह इसी मकान के अन्दर है?

गोपालसिंह-जी हाँ, आप मकान के अन्दर चलिये और उनसे मिलिये।

इन्द्रजीतसिंह-एक औरत के रोने की आवाज हम लोगों ने सुनी थी, शायद वह भी इसी मकान के अन्दर हो।

गोपालसिंह--जी नहीं, वह कम्बख्त औरत (धनपत की तरफ इशारा कर) यही है! न मालूम ईश्वर ने इस हरामजादे को कैसा मर्द बनाया है कि आवाज से भी कोई इसे मर्द नहीं समझ सकता!

कमलिनी-इसे आपने कब पकड़ा?

गोपालसिंह-यह कल से मेरे कब्जे में है और मैं कल ही इसे इस मकान में कैद कर गया था, बल्कि आज छुड़ाने के लिए आया था।

इन्द्रजीतसिंह-तो आप कल भी इस मकान में आ चुके हैं! मगर मुझसे मिलने के लिए शायद कसम खा चुके थे!

गोपालसिंह-(हँसकर) नहीं-नहीं, मेरा वह समय बड़ा ही अनमोल था, एकएक पल की देर बुरी मालूम होती थी; इसी से आपसे मिलने के लिए मैं रुक न सका। इसका खुलासा हाल आप सुनेंगे तो बहुत ही हँसेंगे और खुश होंगे। मगर पहले मकान के अन्दर चलकर आनन्दसिंह से मिल लीजिए, तब यह अनूठा किस्सा आपसे कहूँगा।

इन्द्रजीतसिंह-क्या आनन्द यहाँ तक नहीं आ सकता?

गोपालसिंह-नहीं, वे यहाँ नहीं आ सकते। वे तिलिस्मी कारखाने में फंस चके हैं, इसलिए छूटने का उद्योग नहीं कर सकते, बल्कि वे तिलिस्म के अन्दर जा सकते हैं और उसे तोड़कर निकल आ सकते हैं। मगर अब उनसे मिलने में देर न कीजिए।

इन्द्रजीतसिंह--आप जिस काम के लिए गये थे वह हुआ?

गोपालसिंह-वह काम भी बखूबी हो गया, उसका खुलासा हाल थोड़ी देर में आपसे कहूँगा।

कमलिनी-भूतनाथ को आपने कहाँ छोड़ा?

गोपालसिंह-वह भी आता ही होगा। वास्तव में वह बड़ा ही चालान धूर्त ऐयार है। उसने जो काम किए हैं तुम सुनोगी तो हँसते-हँसते लोटन काबूतर बन जाओगी। (इन्द्रजीतसिंह की तरफ देखकर) आप आनन्दसिंह के फंसने से दु:खी क्योंकि आप दोनों भाइयों के लिए इस तिलिस्म का तोड़ना जरूरी हो चुका है।

इन्द्रजीतसिंह-ठीक है, मगर रिक्तगन्थ का पूरा-पूरा मतलब उसकी सारी नहीं आया है और इसके तिलिस्म के काम में उसे तकलीफ होना सम्भव है। उसमें दस