पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२२४

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रात पहर भर से कम रह गई थी जब किशोरी, कामिनी, कमला, लक्ष्मीदेवी, लाड़िली और कमलिनी की बातें पूरी हुई और उन्होंने चाहा कि अब उठकर नीचे चलें और दो घण्टे आराम करें। इस समय महल में बिलकुल सन्नाटा था। लौंडियाँ बेफिक्री के साथ खुर्राटे ले रही थीं, क्योंकि कमलिनी ने सभी को अपने सामने बिदा कर दिया था और कह दिया था कि बिना बुलाये कोई हम लोगों के पास न आवे।

इस समय ये सब जिस महल में हैं वह राजमहल के नाम से पुकारा जाता था। महाराज दिग्विजय सिंह की रानी इसी में रहा करती थीं। इसके बगल में पीछे की तरफ महल का वह दूसरा भाग था जिसमें किशोरी उन दिनों में रहती थी जब दिग्विजयसिंह की जिन्दगी में जबर्दस्ती इस मकान के अन्दर लाई गई थी और लाली तथा कुन्दन भी किशोरी की हिफाजत के लिए उसी मकान में रहा करती थीं जिनका हाल सन्तति के तीसरे भाग के आठवें बयान में लिख आये हैं।

पाठक भूले न होंगे कि उसी महल या बाग में (जिसमें पहले किशोरी रहा करती थी) एक कोने पर वह इमारत थी जिसका दरवाजा हमेशा बन्द रहता था और जिसकी छत फोड़कर किशोरी को साथ लिए लाली उसके अन्दर चली गई थी। यद्यपि महल का वह भाग अलग था, मगर राजमहल की छत पर से वह मकान बखूबी दिखाई देता था। किशोरी, कमला, लाड़िली, कामिनी, लक्ष्मीदेवी और कमलिनी की बात जब समाप्त हई और वे सब नीचे जाने के इरादे से उठकर खड़ी हुई तो यकायक लाड़िली की निगाह उस इमारत पर पड़ी जिसके अन्दर किशोरी को लेकर वह (लाली) चली गयी थी। आज भी उस मकान का दरवाजा उसी तरह बन्द था जैसे दिग्विजयसिंह के समय में बन्द रहा करता था, हाँ, पहले की तरह आज उसके दरवाजे पर पहरा नहीं पड़ता था, उस मकान की छत जिसमें लाली ने सेंध लगाई थी, दुरुस्त कर दी गयी थी। बाग में चारों तरफ सन्नाटा था, क्योंकि आजकल उसमें कोई रहता न था और यह बात कमलिनी और लाड़िली इत्यादि को मालूम थी।

जिस समय लाड़िली की निगाह उस मकान की छत पर पड़ी, उसे एक आदमी दिखाई दिया जो बड़ी मुस्तैदी के साथ चारों तरफ घूम-घूम और देख-देखकर शायद इस बात की टोह ले रहा था कि कोई आदमी दिखाई तो नहीं देता, मगर किशोरी और कामिनी इत्यादि ऐसे ठिकाने थीं कि ये सब चारों तरफ सबको देखती, मगर इन्हें कोई नहीं देख सकता था क्योंकि जिस मकान की छत पर ये सब यों, उसके चारों तरफ पुर्से भर ऊँची कनाती दीवार थी और उसमें बहुत से सूराख देखने और तीर मारने के लायक बने हुए थे और इस समय लाड़िली ने भी उस आदमी को ऐसे ही एक सूराख की राह से ही देखा था।

लाड़िली ने कमलिनी का हाथ पकड़ लिया और उस इमारत की तरफ देखने का इशारा किया। कमलिनी ने और इसके बाद एक-एक करके सभी ने उस आदमी को