पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२२१

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वह कुचाली हो ही जायगा क्योंकि बहुत से नापाक दिल मिल-जुलकर उस पाक-दिल पर जबर्दस्त हो जायेंगे और सच तो ये है कि सोहबत एक आदमी के संग को नहीं कहते बल्कि कई आदमियों के झुण्ड में मिल कर बैठने का नाम सोहबत है। हाँ, तो मैं क्या कह रही थी, जब तुमने टोका था-बिल्कुल ही भूल गई! इसी से कहते हैं कि बातों के सिलसिले में टोकना अच्छा नहीं होता।

कमला-ठीक है, तभी तो मैंने पहले ही क्षमा मांग ली थी। खैर, जाने भी दो। मैं तुम्हारी बातों का मतलब पा गई कि तुम भूतनाथ को मेरा नातेदार बनाना चाहती हो।

कमलिनी-मैं क्यों बनाना चाहती हूँ! ईश्वर ही ने उसे तुम्हारा नातेदार बनाया है, खैर, मैं सबसे पहले तुमसे नानक का हाल कहती हूँ। नानक ने अपना हाल स्वयं ही तेजसिंह से कहा था और मैं उस समय छिपकर उसे सून रही थी। इसके बाद और लोगों को भी वह हाल मालूम हुआ।

तब कमलिनी ने पिछला बहुत-सा हाल जो गुजर चुका था वह कह सुनाया और तब तेजसिंह का पागल बन के मायारानी के बाग में जाना और वहाँ की कैफियत जनाना नानक का हाल, चंडूल की दिल्लगी, भूतनाथ और शेरसिंह का रंग-ढंग तथा बाकी का सब हाल भी कहा जिसे बड़े गौर और आश्चर्य से सब सुनती रहीं। इस समय कमला के दिल की अजब हालत थी, उसकी आँखों के सामने उसके लड़कपन का जमाना घम रहा था। वह उस समय की बातों को अच्छी तरह यादकर करके सोच रही थी जब उसकी माँ जीती थी और उसका बाप बहुत दिनों तक गैरहाजिर रहा करता था। अन्त में उसका बाप यकायक गायब हो गया था और किसी अनजान आदमी ने उसके मरने की खबर कमला के नाना को पहुँचाई थी। उन दिनों कमला के बाप के बारे में तरह-तरह की खबरें उड़ रही थीं। आखिर जब कमला का चाचा शेरसिंह कमला के घर गया और उसने स्वयं कहा कि 'बेशक कमला का बाप मेरे सामने मरा और मैंने ही उसकी दाह-क्रिया की है', तब सभी को उसके मरने का विश्वास हुआ था।

कमला-हाँ, तो इस किस्से से साबित होता है बल्कि मेरा दिल गवाही देता है कि भूतनाथ मेरा रिश्तेदार है।

कमलिनी-बेशक ऐसा ही है।

कमला-तो साफ-साफ जल्दी क्यों नहीं कह देतीं कि वह मेरा कौन है? यद्यपि मैं समझ गई हैं तथापि अपने मुँह से कुछ कह नहीं सकती।

कमलिनी-अच्छा, तो मैं कहे देती हूँ कि वह तुम्हारा बाप है और नानक तुम्हारा भाई।

कमला--तो उसने अपने मरने की झूठी खबर क्यों मशहूर की थी? नानक के किस्से से तो केवल इतना ही जाना जाता है कि राजा वीरेन्द्रसिंह के यहाँ चोरी करने


1. पाठकों को मालम होगा कि कमलिनी ही चंडूल बनी हुई थी।