पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२१२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
211
 

गज्जू बाबू-हाँ-हाँ, चली आओ, हर्ज क्या है। तुम तो हमारी भाभी ठहरीअगर जिद हो तो हमसे मुँह-दिखाई ले लेना!

इतना सुनते ही छमछम करती हुई बीबी साहिबा पर्दे से बाहर निकलीं और गोश्त का बर्तन बड़ी नजाकत से लिए दोनों महापुरुषों के पास आ खड़ी हुईं।

हम यहाँ पर बीबी साहब का हुलिया लिखना उचित नहीं समझते और सच तो यह है कि लिख भी नहीं सकते क्योंकि उनके चेहरे का खास-खास हिस्सा नाम मात्र के चूंघट में छिपा हुआ था। खैर जाने दीजिये, ऐसे तम्बाकू पीने के लिए छप्पर फंकने वाले लोगों का जिक्र जहाँ तक कम आये अच्छा है। हम तो आज नानक को ऐसी अवस्था में देख कर हैरान हैं और कमलिनी तथा तेजसिंह की भूल पर अफसोस करते हैं। यह वही नानक है जिसे हमारे ऐयार लोग नेक और होनहार समझते थे और अभी तक समझते होंगे मगर अफसोस, इस समय यदि किसी तरह कमलिनी को इस बात की खबर हो जाती कि नानक के धर्म तथा नेक चालचलन के लम्बे-चौड़े दस्तावेज को दीमक चाट गए, अब उसका विश्वास करना या उसे सच्चा ऐयार समझना अपनी जान के साथ दुश्मनी करना है तो बहुत अच्छा होता। यद्यपि किशोरी, कामिनी, लाडिली, लक्ष्मीदेवी और वीरेन्द्रसिंह के ऐयारों का दिल भूतनाथ से फिर गया है मगर नानक पर कदाचित अभी तक उनकी दया-दृष्टि बनी हुई है।

नानक की स्त्री ने बर्तन में से दो टुकड़ा गोश्त निकाल कर गज्जू बाबू की थाली में रक्खा और पुनः निकालकर थाली में रखने के लिए झुकी ही थी कि बाहर से किसी आदमी ने बड़े जोर से पुकारा, "अजी नानक जी हैं!" इस आवाज को सुनते ही नानक चौंक गया और उसने दाई की तरफ देख के कहा, "जल्दी जा, देख तो सही कौन पुकार रहा है!"

दाई दौड़ी हुई दरवाजे पर गई। दरवाजा खोल कर जब उसने बाहर की तरफ देखा तो एक नकाबपोश पर उसकी निगाह पड़ी जिसने चेहरे की तरह अपने तमाम बदन कोभी काले कपडे से ढंक रक्खा था। उसके तमाम कपडे इतने ढीले थे कि उसके अंग-प्रत्यंग का पता लगाना या इतना भी जान लेना कि यह बुड्ढा है या जवान बड़ा ही कठिन था।

दाई उसे देख कर डरी। यदि गज्जू बाबू के कई सिपाही उसी जगह दरवाजे पर मौजूद न होते तो वह निःसन्देह चिल्ला कर मकान के अन्दर भाग जाती मगर गज्जू बाबू के नौकरों के रहने से उसे कुछ साहस हुआ और उसने नकाबपोश से पूछा--

दाई—तुम कौन हो और क्या चाहते हो?

नकाबपोश-मैं आदमी हूँ और नानक परसाद से मिलना चाहता हूँ।

दाई-अच्छा तुम बाहर बैठो वह भोजन कर रहे हैं, जब हाथ मुंह धो लेंगे तब आवेंगे।

नकाबपोश-ऐसा नहीं हो सकता! तु जाकर कह दे कि भोजन छोड़ कर जल्दी से मेरे पास आवें। जा देर मत कर। यदि थाली की चीजें बहुत स्वादिष्ट लगती