पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२०६

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जिस समय भूतनाथ ने बलभद्रसिंह से यह कहकर कि 'तेरे हाथ की लिखी हुई वे। चिट्ठियां भी पास मौजूद हैं जिनकी बदौलत बेचारा बलभद्रसिंह अभी तक मुसीबत झेल रहा है' भैरोंसिंह की तरफ ऐयारी का बटुआ लेने को हाथ बढ़ाया। उस समय तेजसिंह को विश्वास हो गया कि बेशक भूतनाथ बलभद्रसिंह को दोषी ठहरावेगा मगर भैरोंसिंह के हाथ से ऐयारी का बटुआ लेने के बाद भूतनाथ ने कुछ सोचा और फिर तेजसिंह की तरफ देखकर कहा


भूतनाथ-- नहीं, इस समय मैं उन चिट्ठियों को नहीं निकालूंगा, क्योंकि यह झट इनकार कर जायगा और कह देगा कि ये चिट्टियाँ मेरे हाथ की लिखी नहीं। आप लोगों को इसके हाथ की लिखावट देखने का मौका अभी तक नहीं मिला है।

बलभद्रसिंह-नही-नहीं, मैं इनकार न करूँगा, तू कोई चिट्ठी निकाल के दिखा तो सही।

भूतनाथ-हाँ-हाँ, मैं चिट्ठियाँ निकालूंगा, मगर इस थोड़ी देर में मैं इस बात को सोच चुका हूँ कि तेरे हाथ की लिखी हुई चिट्टियों को निकालना इस समय की अपेक्षा उस समय विशेष लाभदायक होगा जब मैं तेजसिंह या किसी को ले जाकर असली बलभद्रसिंह का सामना करा दूंगा। (तेजसिंह से)कहिए आप मेरे साथ चलने के लिए तैयार हैं या किसी को साथ भेजेंगे?

तेजसिंह-इस बात का फैसला कमलिनी या लक्ष्मीदेवी करेंगी। मैं तुमको पुनः इस मकान में चलने की आज्ञा देता हूँ, मगर साथ-ही-साथ यह भी कह देता हूँ कि देखो भूतनाथ, तुम बड़े-बड़े जुर्म कर चुके हो और इस समय भी अपने हाथ की लिखी हुई चिठ्टीयों से इनकार नहीं करते, मगर अब मैं देखता हूँ कि तुम पुनः कोई नया पातक किया चाहते हो!

इतना कहकर तेजसिंह ने बलभद्रसिंह का हाथ पकड़ लिया और देवीसिंह तथा भैरोंसिंह को यह कहकर मकान की तरफ रवाना हए कि "हम दोनों के जाने के बाद थोड़ी देर में जब हम कहला भेजें तो भूतनाथ को लेकर मकान में आना।"

बलभद्रसिंह को साथ लिए हुए तेजसिंह मकान के अन्दर आए और कमलिनी, किशोरी तथा तारा इत्यादि से सब हाल कहा।

तारा—इसमें कोई शक नहीं कि भूतनाथ झूठा, दगाबाज और परले सिरे का बेईमान हो चुका है।

कमलिनी-ठीक है (बलभद्रसिंह की तरफ देखके) आप बहुत सुस्त और पसीनेपसीने हो रहे हैं अतएव कपड़े उतारकर आराम कीजिए और ठण्डे होइए।

बलभद्रसिंह-हाँ, मैं भी यही चाहता हूँ।

इतना कहकर बलभद्रसिंह ने कपड़े उतार डाले। उस समय लोगों का ध्यान बलभद्रसिंह के मोढ़े की तरफ गया और सभी ने उस निशान को बहुत अच्छी तरह देखा