पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१८२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
181
 


को छोड़ा था। तीतर का शोरवा पीने से किशोरी, कामिनी और तारा की तबीयत ठहरी हुई थी और वे इस योग्य हो गई थीं कि दीवार के सहारे कुछ देर तक बैठ सकें, अस्तु इस समय जब देवीसिंह वहाँ पहुँचे तो वे तीनों पत्थर की चट्टान के सहारे बैठी हुई कमलिनी और भैरोंसिंह से बातचीत कर रही थीं। वहाँ जंगली पेड़ों की घनी छाया थी जिनकी टहनियां तेज हवा के झपेटों से झोंके खा रही थीं और पत्तों की खड़खड़ाहट की मधुर ध्वनि बहुत ही भली मालूम देती थी।

जिस समय भैरोंसिंह ने देखा कि देवीसिंह के साथ दोनों घोड़े ही नहीं हैं बल्कि एक गठरी भी है वह उठकर आगे बढ़ गया और विचित्र मनुष्य की गठरी अपनी पीठ पर लाद कर कमलिनी के पास ले आया। उस समय सभी की आश्चर्य-भरी निगाहें उसी गठरी की तरफ पड़ रही थीं। दोनों घोड़ों को पेड़ से बांधकर जब देवीसिंह कमलिनी के पास पहुँचे तो उन्होंने अपने पास की गठरी खोली और सभी ने बड़े गौर से उस विचित्र मनुष्य के चेहरे पर नजर डाली। यद्यपि देवीसिंह ने उसके फटे हुए सिर पर कपड़ा बांध दिया था मगर थोड़ा-थोड़ा खून अभी तक बह रहा था।

कमलिनी—इसे आप कहां से लाए और यह कौन है?

देवीसिंह-मुझे अभी तक मालूम न हुआ कि यह कौन है।

कमलिनी-(आश्चर्य से) क्या खूब! अगर ऐसा ही था तो इसे कैद क्यों कर लाये?

देवीसिंह-इसका किस्सा बड़ा ही विचित्र है। मुझे अब निश्चय हो गया कि भूतनाथ निःसन्देह किसी भारी घटना का शिकार हो रहा है जैसा कि आपने कहा था।

कमलिनी-अच्छा अब मैं टूटी-फूटी बातें नहीं सुनना चाहती, जो कुछ हाल हो खुलासा-खुलासा कह जाइये। इस जगह पुनः उन बातों को दोहराना पाठकों का समय नष्ट करना है अतएव इतना ही कह देना काफी है कि देवीसिंह ने अपना पूरा हाल तथा भूतनाथ की जुबानी इस विचित्र मनुष्य और नकाबपोश वगैरह का जो कुछ हाल सुना था, कमलिनी से कह सुनाया जिसे सुनकर कमलिनी को बड़ा ही ताज्जुब हुआ। कमलिनी से भी ज्यादा ताज्जुब तारा को हुआ जब उसने सुना कि इस विचित्र मनुष्य के हाथ में एक गठरी थी जिसके विषय में यह कहता था कि इसके अन्दर तारा की किस्मत बन्द है और गठरी घमती-फिरती किसी नकाबपोश के हाथ में चली गई, मालम नहीं वह नकाबपोश कौन था या कहां चला गया।

कमलिनी-(तारा से) जब तुम्हारी किस्मत की गठरी इस आदमी के हाथ में थी तो मालूम होता है कि तुम इसे जानती भी होगी!

तारा-कुछ भी नहीं, बल्कि जहां तक मैं कह सकती हूँ मालूम होता है कि मैंने इसकी सूरत भी कभी नहीं देखी होगी।

कमलिनी–ठीक है, इस समय इसके विषय से तुमसे कुछ पूछना भूल है, क्यों कि साफ मालूम होता है कि इस आदमी की सूरत वास्तव में वैसी नहीं है जैसी हम देख रहे हैं। जरूर इसने अपनी सूरत बदली है और इसके बाल भी असली नहीं बल्कि बना