पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१७

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एच मेमचे काटनो केआरेयाँ डेह नेपो
7 8 9 10 11 12
किमटू च्वाला मेम कुम नीपो इच्चो
13 लव
14 कचीचा
15 टेप

इस चिट्ठी का मतलब तो कुमार तुरत समझ गए, क्योंकि यह ऐयारी भाषा में लिखी हुई थी और कुमार ऐयारी भाषा बखूबी जानते थे, मगर यह उनकी समझ में न आया कि चिट्ठी लिखने वाला कौन है, क्योंकि उसने अपना नाम टेप लिखा था। कुमार ने कमलिनी से 'टेप' का अर्थ पूछा, जिसके जवाब में उसने कहा, "थोड़ी देर सब्र कीजिए, आप-से-आप उस आदमी का पता लग जायगा।" कुमार चुप हो रहे और दरवाजे की तरफ देखने लगे। हमारे पाठक महाशय ऐयारी भाषा शायद न जानते होंगे, अस्तु उन्हें समझाने के लिए उस चिट्ठी का अर्थ हम नीच लिखे देते हैं––

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यहाँ मैं हूँ डरो मत कुमार को तकलीफ न होगी
7 8 9 10 11 12
थोड़ी देर सब्र करो मैं स्वयं नीचे आता हूँ
13 वही
14 दिलजला
15 टेप


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मायारानी आज यह विचार कर बहुत खुश है कि आधी रात के समय कमलिनी इस बाग में आयेगी और मैं उसे अवश्य गिरफ्तार करूँगी, मगर इस बात को जानने के लिए उसका जी बेचैन हो रहा कि उसके सोने वाले कमरे में रात को कौन आया था। वह चारों तरफ खयाल दौड़ाती थी, मगर कुछ समझ में न आता था और आखिर दिल में यही कहती थी कि आने वाला चाहे कोई हो, मगर काम कमलिनी ही का है। आज अगर कमलिनी गिरफ्तार हो जायगी तो सब टण्टा मिट जायगा। जितनी बेफिक्री राजा गोपालसिंह के मरने से मिली है, उतनी ही कमलिनी के भी मारने से मिलेगी, क्योंकि उसके मरने के बाद मेरे साथ दुश्मनी करने का साहस फिर कोई भी नहीं कर सकता।

आधी रात जाने के पहले ही मायारानी धनपत को साथ लिए हुए उस दरवाजे के पास आ पहुँची जिधर से कमलिनी के आने की खबर सुनी थी। मायारानी के कहे