पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१४२

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यह भी कह दिया कि मुझे इस मकान के बचाव की तरकीब के सिवाय और कोई काम करने की फुरसत नहीं है मगर तुम इस विषय में जो कुछ उचित जान पड़े वह करो।

श्यामसुन्दर सिंह बहुत ही होशियार चालाक, बुद्धिमान और बहादुर आदमी था। यह कमलिनी के कुल सिपाहियों का सरदार था और इसकी अच्छी चाल-चलन तथा बहादुरी की कदर कमलिनी दिल से करती थी तथा यह भी कम लिनी की भलाई के लिए जान तक दे देने को हरदम तैयार रहता था। यद्यपि काम-काज के सबब से श्यामसुन्दर सिंह यहां बराबर नहीं रहता था परन्तु जिस समय दुश्मनों ने इस मकान को घेरा था उस समय वह मौजूद था। जब उसने तारा की जुबानी कैदियों के निकल जाने का हाल सुना तो उसने भी अपनी राय वही कायम की जो तारा ने की थी।

श्यामसुन्दरसिंह भगवानी की तरफ से होशियार हो गया और उसके कार्यों को विशेष ध्यान से देखने लगा, मगर इस बात का तो उसको गुमान भी न हुआ कि भगवानी ने किशोरी, कामिनी और तारा को भी सुरंग में बन्द कर दिया है।

श्यामसुन्दरसिंह इस बात को भी तो समझ ही गया था कि अब यह मकान दृश्मनों के हमले से किसी तरह बच नहीं सकता तथापि उसे कुछ-कुछ आशा इस बात की थी कि जिस समय तिलिस्मी नेजा हाथ में लेकर तारा इस झुण्ड में पहुंचेगी तो ताज्जुब नहीं कि दुश्मनों का जी टूट जाय, परन्तु बहुत समय निकल जाने पर भी जब तारा वहाँ तक न पहुंची तो श्यामसुन्दरसिंह को आश्चर्य हुआ और वह तरह-तरह की बातें सोचने लगा।


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कीमती जवाहरात के चीजों की गठरी लादे हुए मालिक को चौपट करने वाली हरामजादी भगवानी जब भागी तो उसने फिर के देखा भी नहीं कि पीछे क्या हो रहा है या कौन आ रहा है।

रात पहर भर से कुछ ज्यादा जा चुकी थी और चांदनी खूब निखरी हुई थी जब हांफती और काँपती हुई भगवानी एक घने जंगल के अन्दर जिसमें चारों तरफ परले सिरे का सन्नाटा छाया हुआ था पहुँचकर एक पत्थर की चट्टान पर बैठी और फिर इस तरह से लेट गई जैसे कोई हताश होकर गिर पड़ता है। वह अपनी बिसात से ज्यादा चल और दौड़ चुकी थी और इसीलिए बहुत सृस्त हो गई थी। इस पत्थर की चट्टान पर पहुँचकर उसने सोचा था कि अब बहुत दूर निकल आये हैं कोई धरने-पकड़ने वाला है नहीं अतएव थोड़ी देर तक बैठ कर आराम कर लेना चाहिए, मगर बैठने के साथ ही पहले जिस पर उसकी निगाह पड़ी, वह श्यामसुन्दरसिंह था जिसे देखते ही उसका कलेजा धक से हो गया और चेहरे पर मुर्दनी छा गई। उसकी तेजी के साथ चलनी साँस दो-चार पल के लिए रुक गयी और वह घबराकर उसका मुँह देखने लगी।