देखने वाला कैसी ही जीवट का क्यों न हो, मगर एक दफे तो अवश्य ही डर जाय। इसके बाद कवच पहना और तिलिस्मी नेजा लेकर सुरंग में रवाना हुई, हाथ में एक लालटेन लिए किशोरी और कामिनी भी साथ हुईं।
पहले तहखाने वाली कोठरी का दरवाजा खोला गया, फिर सुरंग का दरवाजा खोलकर तीनों मुँहबोली बहिनें सुरंग में दाखिल हो गयीं।
ये तीनों बीस-पच्चीस कदम से ज्यादा न गई होंगी कि पीछे की तरफ से यकायक दरवाजा बन्द कर लेने की आवाज आई, जिसे सुनते ही तीनों चौंक पड़ी और खड़ी हो गयीं। तारा ने किशोरी और कामिनी की तरफ देखकर कहा-"हैं, यह क्या बात है? मालूम होता है कि हमारा दुश्मन हमारे घर ही में है!" यह कहती हुई किशोरी और कामिनी के साथ तारा पीछे की तरफ लौटी और जब सुरंग के दरवाजे के पास आई तो दरवाजा बन्द पाया। खटखटाया, धक्का दिया, जोर किया, मगर दरवाजा न खुला। इस समय उन तीनों अबलाओं के दिल की क्या हालत हुई होगी सो हमारे बुद्धिमान पाठक स्वयं सोच सकते हैं। कामिनी ने घबराकर तारा से कहा, "तुम्हारा कहना ठीक है, बेशक हमारा दुश्मन हमारे घर ही में है।"
किशोरी-चाहे कोई हमारा नौकर हमारा दुश्मन हो या दुश्मन का कोई ऐयार हमारे नौकर की सूरत में यहां आकर टिका हो।
तारा-अब शक दूर हो गया और निश्चय हो गया कि कैदियों को इसी कम्बख्त ने निकाल दिया। मैं ताज्जुब में थी कि यह दरवाजा जो दूसरी तरफ से किसी तरह नहीं खुल सकता क्योंकर खुला और कैदी लोग क्योंकर निकल गये, मगर अब जो कुछ असल बात थी, जाहिर हो गई। अब उस शैतान ने (चाहे वह कोई भी हो) इसलिए यह दरवाजा बन्द कर दिया कि हम लोग पुनः लौटकर घर में न आ पावें। अफसोस बड़ा ही धोखा हुआ कि इतने पर भी हम लोग उससे बेफिक्र रहे और इस समय भी वह छिपकर हम लोगों के साथ ही साथ कैदखाने में उतरा, मगर कुछ मालूम न हुआ। (कुछे रुककर) हमारे नौकरों और लौंडियों को क्या मालूम हो सकता है कि इस समय हम लोगों के साथ किस दुष्ट ने कैसा बर्ताव किया!
कामिनी-क्या इस तरफ इस दरवाजे को खोलने की कोई तरकीब नहीं है?
तारा-कोई नहीं।
कामिनी-और अगर दुश्मनों ने सुरंग के मुहाने का दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया हो तो क्या होगा?
तारा-उस दरवाजे के दूसरी तरफ ऐसी चीज नहीं है जो दरवाजा बन्द करने के काम में आवे, मगर फिर भी दुश्मन होशियार हो तो हर तरह से वह मुहाना बन्द कर सकता है। उस दरवाजे के ऊपर मिट्टी, पत्थर या चूने का ढेर लगा सकता है, ईंटपत्थर की जुड़ाई कर सकता है, या उस खोह भर को ईंट-पत्थर से बन्द कर सकता है।
किशोरी–हाय, अब हम लोग बेमौत मारे गये| ताज्जुब नहीं कि इस बात का बन्दोबस्त पहले ही मे कर लिया गया हो।
कामिनी-बस, अब हम लोगों को यहां जरा भी न अटक कर सुरंग के बाहर