पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१२६

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तालाब का जल करीब चौथाई के सूख चुका था, पुतली झुकने के साथ ही जल में खलबली पैदा हुई। उस समय तारा ने प्रसन्न हो पीछे की तरफ फिर कर देखा तो किशोरी और कामिनी पर निगाह पड़ी जो तारा के साथ ही साथ नीचे उतर आई थीं और उसके पीछे खड़ी यह कार्रवाई देख रही थीं। कई लौंडियाँ भी पीछे की तरफ नजर पड़ी जो इत्तिफाक से इस समय मकान के अन्दर ही थीं। तारा ने कहा, "कोई हर्ज नहीं दुश्मन हमारे पास नहीं आ सकते।"

किशोरी–मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया कि तुम क्या कर रही हो और इस पुतली के झुकाने से जल में खलबली क्यों पैदा हुई?

तारा-ये पुतलियाँ इसी काम के लिए बनी हैं कि जब दुश्मन किसी तरकीब से इस तालाब को सुखा डाले और इस मकान में आने का इरादा करे तो इन चारों पुतलियों से काम लिया जाय। इस मकान की कुरसी गोल है और इसमें चार चक्र लगे हए हैं जिनकी धार तलवार की तरह और चौड़ाई सात हाथ से कुछ ज्यादा होगी, हाथ भर की चौड़ाई तो मकान की दीवार में चारों तरफ घुसी हुई है जिसका सम्बन्ध किसी कल-पुर्जे से है और छह हाथ की चौड़ाई मकान की दीवार से बाहर की तरफ निकली हुई है। ये चारों चक्र जल के अन्दर छिपे हुए हैं और इस मकान को इस तरह घेरे हुए हैं जैसे छल्ला या सादी अंगूठी उँगली को। जब इन चारों पुतलियों में से एक पुतली झुका कर जमीन के साथ सटा दी जायगी तो एक चक्र तेजी के साथ घूमने लगेगा, इसी तरह दूसरी पुतली झुकने से दूसरा, तीसरी पुतली झुकने से तीसरा और चौथी पुतली झुकने से चौथा चक्र भी घूमने लगेगा। उस समय किसी की मजाल नहीं कि इस मकान के पास फटक जाय, जो आवेगा उसके चार टुकड़े हो जायेंगे। मैंने जो इस पुतली को झुका दिया है इस सबब से एक चक्र घूमने लगा है और उसी की तेजी से जल में खलबली पैदा हो गई है। पहले मुझे यह हाल मालूम न था, कमलिनी के बताने से मालूम हुआ है। विशेष कहने की कोई आवश्यकता नहीं है, तुम स्वयं देखती हो कि जल किस तेजी के साथ कम हो रहा है। हाथ भर जल कम होने दो फिर स्वयं देख लेना कि कैसा चक्र है और किस तेजी के साथ घूम रहा है।

किशोरी–(आश्चर्य से) मकान की पूरी हिफाजत के लिए अच्छी तरकीब निकाली है।

तारा-इन चक्रों के अतिरिक्त इस मकान की हिफाजत के लिए और भी कई चीजें हैं मगर उनका हाल मुझे मालूम नहीं है।

किशोरी ने गौर से जल की तरफ देखा जो चक्र के घमने की तेजी से मकान के पास की तरफ खलबला रहा था और उसमें पैदा हुई लहरें किनारे तक जा-जा कर टक्कर खा रही थीं। जल बहुत ही साफ था इसलिए शीघ्र ही कोई चमकती हुई चीज भी दिखाई देने लगी। जैसे-जैसे जल कम होता जाता था, वह चक्र साफ-साफ दिखाई देता था। थोड़े ही देर बाद जल विशेष घट जाने के कारण चक्र साफ निकल आया जो बहुत ही तेजी के साथ घूम रहा था। किशोरी ने ताज्जुब में आकर कहा, "बेशक अगर इसके पास लोहे का आदमी भी आवेगा तो कट कर दो टुकड़े हो जायगा !" वह बड़े