ऐयारों को जो कुँँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह के साथ थे, बाग के चौथे दर्जे के देवमन्दिर में आने-जाने का रास्ता बताकर कमलिनी ने तेजसिंह को रोहतासगढ़ जाने के लिए कहा और बाकी ऐयारों को अलग-अलग काम सुपुर्द करके दूसरी तरफ बिदा किया।
इस बाग के चौथे दर्जे की इमारत का हाल हम ऊपर लिख आए हैं और यह भी लिख आये हैं कि वहाँ असली फूल-पत्तों का नाम-निशान भी न था। यहाँ की ऐसी अवस्था देखकर कुँँअर इन्द्रजीतसिंह ने कमलिनी से पूछा, “राजा गोपालसिंह ने कहा था कि ‘चौथे दर्जे में मेवे बहुतायत से हैं खाने-पीने की तकलीफ न होगी’, मगर यहाँ तो कुछ भी दिखाई नहीं देता! हम लोगों को यहाँ कई दिनों तक रहना होगा, कैसे काम चलेगा?” इसके जवाब में कमलिनी ने कहा, “आपका कहना ठीक है और राजा गोपालसिंह ने भी गलत नहीं कहा। यहाँ मेवों के पेड़ नहीं हैं मगर (हाथ का इशारा करके) उस तरफ थोड़ी-सी जमीन मजबूत चहारदीवारी से घिरी हुई है जिसे आप मेवों का बाग कह सकते हैं। उसको कोई सींचता या दुरुस्त नहीं करता है, बाहर से एक नहर दीवार तोड़ कर उसके अन्दर पहुँँचाई गई है और उसी की तरावट से वह बाग सूखने नहीं पाता। कई पेड़ पुराने होकर मर जाते है और कई नये पैदा होते रहते हैं। इस तिलिस्मी बाग का राजा दस-पन्द्रह वर्ष पीछे कभी उसकी सफाई करा दिया करता है। मैं वहाँ जाने का रास्ता आपको बता दूँँगी!”
ऐयारों को बिदा करने के बाद ही कमलिनी भी लाड़िली को लेकर दोनों कुमारों से यह कह कर बिदा हुई—“कई जरूरी कामों को पूरा करने के लिए मैं जाती हूँ, परसों यहाँ आऊँगी।”
तीन दिन तक कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह देवमन्दिर में रहे। जब आवश्यकता होती मेवों वाले बाग में चले जाते और पेट भर कर फिर उस देवमन्दिर में चले आते। इस बीच में दोनों भाइयों ने मिल कर 'रिक्तगंथ' (खून से लिखी किताब) भी पढ़ डाली, मगर रिक्तगंथ में जो भी बातें लिखी थीं, वे सब-की-सब बखूबी समझ में न आई क्योंकि उसमें बहुत से शब्द इशारे के तौर पर लिखे थे जिनका भेद जाने बिना असल बात का पता लगाना बहुत ही कठिन था, तथापि तिलिस्म के कई भेदों और रास्तों का पता उन दोनों को मालूम हो गया और बाकी के विषय में निश्चय किया कि कमलिनी से मुलाकात होने पर उन शब्दों का अर्थ पूछेंगे जिनके जाने बिना कोई काम नहीं चलता।
यद्यपि कुँअर इन्द्रजीतसिंह किशोरी के लिए और आनन्दसिंह कामिनी के लिए बेचैन हो रहे थे, मगर कमलिनी और लाड़िली की भोली सूरत के साथ-साथ उनके अहसानों ने भी दोनों कुमारों के दिलों को पूरी तरह से अपने काबू में कर लिया था फिर भी किशोरी और कामिनी की मुहब्बत के खयाल से दोनों कुमार अपने दिलों को