पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/८९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
89
 

यद्यपि इसकी जवानी ने इसका साथ छोड़ दिया है और फिक्र ने इसे दुर्बल कर दिया है मगर फुर्ती, मजबूती और दिलेरी ने अभी तक इसके साथ दुश्मनी नहीं की और वे इस गई, गुजरी हालत में भी इसका साथ दिए जाती हैं। इस आदमी की सूरत-शक्ल के बारे में हमें कुछ विशेष लिखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमारे पाठक इसे पहचानते हैं और जानते हैं कि इसका नाम 'भूतनाथ' है।

भूतनाथ को खेमे के दरवाजे पर टहलते हुए देर हो गई। वह न मालूम किस सोच में डूबा हुआ था कि सिर नीचा किए हुए सिवाय टहलने के इधर-उधर देखने की उसे बिल्कुल फुरसत न थी, हाँ कभी-कभी वह सिर उठाता और एक लम्बी साँस लेकर केवल उत्तर की तरफ देखता और सिर नीचा कर फिर उसी तरह टहलने लगता। अब सूर्य ने अपना मुँह अच्छी तरह जमीन के पर्दे में छिपा लिया और भूतनाथ ने कुछ बेचैन होकर उत्तर की तरफ देख धीरे से कहा, "अब तो बहुत ही विलम्ब हो गया, क्या बेमौके जान आफत में फँसी है।"

यकायक तेजी के साथ घोड़ा दौड़ाता हुआ एक सवार उत्तर की तरफ से आता हुआ दिखाई पड़ा। कुछ और पास आने से मालूम हो गया कि वह औरत है मगर सिपाहियाना ठाठ में, ढाल-तलवार के सिवाय उसके पास कोई हरबा न था। इस औरत की उम्र लगभग चालीस वर्ष की होगी। सूरत-शक्ल से मालूम होता था कि किसी समय में यह बहुत ही हसीन और दिल लुभाने वाली रही होगी। बात की बात में यह औरत खेमे के पास आ पहुँची और घोड़े से उतर कर उसकी लगाम खेमे की एक डोरी से अटका देने के बाद भूतनाथ के पास आकर बोली, "शाबाश भूतनाथ, बेशक तुम वादे के सच्चे हो।"

भूतनाथ––मगर अभी तक मेरी समझ में यह न आया कि तुम मुझसे दुश्मनी रखती हो या दोस्ती।

औरत––(हँस कर) अगर तुम ऐसे ही समझदार होते तो जीते-जागते और निरोग रहने पर भी मुर्दो में क्यों गिने जाते?

भूतनाथ––(कुछ सोचकर) खैर जो हुआ सो हुआ, अब मुझसे क्या चाहती हो?

औरत––तुमसे एक काम कराया चाहती हूँ

भूतनाथ––वह कौन काम है जिसे तुम स्वयं नहीं कर सकती?

औरत––केवल यही एक काम!

भूतनाथ––(आश्चर्य की रीति से गर्दन हिलाकर) खैर कहो तो सही, करने लायक होगा तो करूँगा।

औरत––मैं खूब जानती हूँ कि तुम उस काम को सहज ही में कर सकते हो।

भूतनाथ––तब कहने में देर क्यों करती हो?

औरत––अच्छा सुनो, यह तो जानते ही हो कि कमलिनी को ईश्वर ने अद्भुत बल दे रक्खा है।

भूतनाथ––हाँ बेशक! उसमें कोई देवी शक्ति है, वह जो कुछ चाहे, सो कर