पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/८८

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काम में भूतनाथ ने उसकी मदद की। कमलिनी के हुक्म से वह सन्दूक और जंजीर पानी में डाल दी गई।

कमलिनी ने अपने घोड़े को आवाज दी। यद्यपि वह कुछ दूर पर चर रहा था, परन्तु मालिक की आवाज के साथ ही दौड़ता हुआ पास आ गया। तारा ने उसे पकड़ लिया और चारजामा कस कर उस पर सवार हो गई तथा कमलिनी तारा के घोड़े पर सवार हुई। अन्त में चारों आदमी कुछ सलाह करके अलग हुए और चारों ने अपना-अपना रास्ता लिया अर्थात् उसी जगह से चारों आदमी जुदा हो गए।

इस वारदात के कई दिन बाद कमलिनी इसी राक्षसी वेष में नेजा लिए रोहतासगढ़ की पहाड़ी पर कब्रिस्तान में कमला से मिली थी, इसी ने राजा वीरेन्द्रसिंह वगैरह को कैद से छुड़ाया, और फिर भी कई दफे उनके काम आई थी, जिसका हाल पिछले बयानों में लिखा जा चुका है।


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अब तो मौसम में फर्क पड़ गया। ठंडी-ठंडी हवा जो कलेजे को दहला देती थी और बदन में कँपकँपी पैदा करती थी अब भली मालूम पड़ती है। वह धूप भी, जिसे देख चित्त प्रसन्न होता था और जो बदन में लग कर रग-रग से सर्दी निकाल देती थी, अब बुरी मालूम होती है। यद्यपि अभी आसमान पर बादल के टुकड़े दिखाई नहीं देते तथापि संध्या के समय मैदान, बाग और तराई की ठंडी-ठंडी और शीतल तथा मन्द-मन्द वायु सेवन करने को जी चाहता है। वहाँ से हिलते हुए पेड़ों की कोमल-कोमल पत्तियों की बहार आँखों की राह घुस कर अन्दर से दिल को अपनी तरफ खींच लेती है तथा टकटकी बँधी हुई आँखों को दूसरी तरफ देखने का यकायक मौका नहीं मिलता। यद्यपि सूर्य अस्त हुआ ही चाहता है और आसमान पर उड़ने वाले परिन्दों के उतार और जमीन की तरफ झुके हुए एक ही तरफ उड़े जाने से मालूम होता है कि बात की बात में चारों तरफ अँधेरा छा जायगा तथापि हम अपने पाठकों को किसी पहाड़ की तराई में ले चलकर एक अनूठा रहस्य दिखाया चाहते हैं।

तीन तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और बीच में कोसों तक का मैदान रमणीक तो है परन्तु रात की अवाई और सन्नाटे ने उसे भयानक बना दिया है। सूर्य अस्त होने में अभी विलम्ब है परन्तु ऊँचे-ऊँचे पहाड़ सूर्य की आखिरी लालिमा को इस मैदान में पहुँचने नहीं देते। चारों तरफ सन्नाटा है, जहाँ तक निगाह काम करती है इस मैदान में आदमी की सूरत दिखाई नहीं पड़ती, हाँ पश्चिम तरफ वाले पहाड़ के नीचे एक छोटा चमड़े का खेमा दिखाई पड़ता है। इस समय हमें इसी खेमे से मतलब है और इसी के दरवाजे पर पहुँच कर अपना काम निकाला चाहते हैं।

इस खेमे के दरवाजे पर केवल एक आदमी कमर में खंजर लगाए टहल रहा है।