पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/४८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
48
 

10

वीरेन्द्रसिंह के तीनों ऐयारों ने रोहतासगढ़ के किले के अन्दर पहुँच कर अंधेर मचाना शुरू किया। उन लोगों ने निश्चय कर लिया कि अगर दिग्विजयसिंह हमारे मालिकों को नहीं छोड़ेगा तो ऐयारी के कायदे के बाहर काम करेंगे और रोहतासगढ़ का सत्यानाश करके छोड़ेंगे।

जिस दिन दिग्विजयसिंह की मुलाकात गौहर से हुई थी, उसके दूसरे ही दिन दरबार के समय दिग्विजयसिंह को खबर पहुँची कि शहर में कई जगह हाथ के लिखे हुए कागज दीवारों पर चिपके हुए दिखाई देते हैं जिनमें लिखा है––"वीरेन्द्रसिंह के ऐयार लोग इस किले में आ पहुँचे। यदि दिग्विजयसिंह अपनी भलाई चाहें तो चौबीस घण्टे के अन्दर राजा वीरेन्द्रसिंह वगैरह को छोड़ दें, नहीं तो देखते-देखते रोहतासगढ़ का सत्यानाश हो जायगा और यहाँ का एक आदमी जीता न बचेगा।"

राजा वीरेन्द्रसिंह के ऐयारों का हाल दिग्विजयसिंह अच्छी तरह जानता था। उसे विश्वास था कि उन लोगों का मुकाबला करने वाला दुनिया भर में कोई नहीं है। विज्ञापन का हाल सुनते ही वह काँप उठा और सोचने लगा कि अब क्या करना चाहिए। इन विज्ञापन की बात शहर भर में तुरंत फैल गई। मारे डर के वहाँ की रियाआ का दम निकला जाता था। सब कोई अपने राजा दिग्विजयसिंह की शिकायत करते थे और कहते थे कि कम्बख्त ने बेफायदा राजा वीरेन्द्रसिंह से वैर बाँध कर हम लोगों की जान ली।

तीनों ऐयारों ने तीन काम बाँट लिए। रामनारायण ने इस बात का जिम्मा लिया कि किसी लोहार के यहाँ चोरी करके बहुत-सी कीलें इकट्ठी करेंगे और रोहतागसढ़ में जितनी तोपें है सभी में कीलें ठोंक देंगे,[] चुन्नीलाल ने वादा किया कि तीन दिन के अन्दर रामानन्द ऐयार का सिर काट शहर के चौमुहाने पर रक्खेंगे, और भैरोंसिंह ने तो रोहतासगढ़ ही को चौपट करने का प्रण किया था।

हम ऊपर लिख आए हैं कि जिस समय कुन्दन (धनपति) ने तहखाने में से किशोरी को निकाल ले जाने का इरादा किया था तो बारह नम्बर की कोठरी में पहुँचने के पहले तहखाने के दरवाजे में ताला लगा दिया था। मगर रोहतासगढ़ दखल होने के बाद तहखाने वाली किताब की मदद से, जो दारोगा के पास रहा करती थी, वे दरवाजे पुनः खोल दिए गए थे और इसलिए दीवानखाने की राह से तहखाने में फिर आमद-रफ्त शुरू हो गई थी।

एक दिन आधी रात के बाद राजा दिग्विजयसिंह के पलंग पर बैठी हुई गौहर ने इच्छा प्रकट की कि मैं तहखाने में चलकर राजा वीरेन्द्रसिंह वगैरह को देखा चाहती


  1. तोप में रंजक देने की जो प्याली होती है, उसके छेद में कील ठोंक देने से तोप बेकाम हो जाती है।