पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/२०२

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नागर––(घबराकर) सो क्यों?

मायारानी––अब आई है तो सब कुछ सुन ही लेगी, पर पहले अपना हाल तो कह कि मेरी प्यारी सखी मनोरमा को छुड़ा लाई या नहीं और चौखट के अन्दर पैर रखते ही तूने यह क्या कहा कि 'थी नहीं बल्कि है!' क्या भूतनाथ मारा नहीं गया? क्या वह खबर झूठ थी।

नागर––हाँ, वह खबर झूठ थी, मनोरमा ने भूतनाथ की जान नहीं ली और न उसे तेजसिंह ने गिरफ्तार किया है बल्कि वह कमलिनी का कैदी है।

मायारानी––तो वह औरत जो मनोरमा की खबर लेकर तेरे पास आई थी, झूठी थी?

नागर––वह स्वयं कमलिनी थी, मनोरमा को कैद कर चुकी थी और मुझे भी गिरफ्तार किया चाहती थी, वह तो असल में भूतनाथ के कागजात ले लेने का बन्दोबस्त कर रही थी बल्कि यों कहना चाहिए कि मैं उसके धोखे में आ गई थी। उसने मुझे गिरफ्तार कर लिया और भूतनाथ के कुल कागजात भी मुझसे लेकर जला दिये।

मायारानी––यह बहुत ही बुरा हुआ, अब भूतनाथ बिल्कुल हम लोगों के कब्जे से बाहर हो गया, खैर जीता है यही बहुत है। यह कह कि तेरी जान कैसे बची?

इसके बाद नागर ने अपना पूरा-पूरा हाल मायारानी के सामने कहा और उसने बड़े गौर से सुना। अन्त में नागर ने कहा, "इस समय भूतनाथ को अपने साथ ले आई हूँ जो जी से हम लोगों की मदद करने के लिए तैयार है।"

यह सुनकर कि भूतनाथ अब हम लोगों का पक्षपाती हो गया और नागर के साथ आया है मायारानी बहुत ही खुश हुई और उसे एक प्रकार की आशा बंध गई। उसने धनपत की तरफ देख कर कहा, "ताज्जुब नहीं कि अब वह बला मेरे सिर से टल जाय जिसके टलने की आशा न थी।"

नागर––आपने अपना हाल तो कुछ कहा ही नहीं! यह जानने के लिए मेरा जी बेचैन हो रहा है कि आप क्यों उदास हो रही हैं और आप पर क्या बला आई है?

मायारानी––थोड़ी देर में तुझे सब कुछ मालूम हो जायगा, पहले भूतनाथ को मेरे पास बुला ला, मैं स्वयं उससे कुछ बात किया चाहती हूँ!

नागर––नहीं-नहीं, पहले आप अपना कुल हाल मुझसे कहिये क्योंकि मेरी तबीयत घबरा रही है।

मायारानी ने अपना बिल्कुल हाल अर्थात् तेजसिंह का पागल बन के जाना, उन्हें बाग के तीसरे दर्जे में कैद करना, चण्डूल का यकायक पहुँचना और उसकी अद्भुत बातें तथा लाड़िली का दगा दे जाना आदि नागर से कहा, मगर अपने पुराने कैदी के छुडाने का और दोनों ऐयारों के मार डालने का हाल छुपा रक्खा, हाँ उसके बदले में इतना कहा कि "वीरेन्द्रसिंह का एक ऐयार मेरे पति की सूरत बनाकर आया है जिन्हें मरे पाँच वर्ष के लगभग हए, उसी को गिरफ्तार करने के लिए बिहारीसिंह और हरनामसिंह गये हैं।"

नागर––मगर यह तो कहिए कि चण्डूल ने आपके तथा बिहारीसिंह और हर-