पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१६८

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जिसमें मायारानी का मुँह देखना नसीब न हो। मैं जानती हूँ कि यह तिलिस्म अब टूटा ही चाहता है क्योंकि इधर थोड़े दिनों से बड़ी-बड़ी अद्भुत बातें देखने में आ रही हैं जिनसे खुद मायारानी की अक्ल चक्कर में है, मगर शक है तो इतना ही कि तिलिस्म तोड़ने वाले कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह इस समय मायारानी के कैदी हो रहे हैं और कल उन दोनों का सिर जरूर काटा जायगा।

कमलिनी––यह बात मुझे भी मालूम है मगर सवेरा होने के पहले ही मैं उन दोनों को छुड़ा कर ले जाऊँगी।

लाड़िली––यदि ऐसा हो तो क्या बात है! वे दोनों कैसे नेक और खूबसूरत हैं। जिस समय मैंने आनन्दसिंह को देखा...

इतना कह लाड़िली चुप हो रही, उसकी आँखें नीची हो गईं और उसके गालों पर शर्म की सुर्खी दौड़ गई। कमलिनी समझ गई कि यह आनन्दसिंह को चाहती है।

कमलिनी––मगर उन दोनों को छुड़ाने के लिए कुछ तुमसे भी मदद चाहती हूँ।

लाड़िली––तुम्हारी आज्ञा मानने के लिए मैं हर तरह से तैयार हूँ।

कमलिनी––तू बस कैदखाने की ताली मुझे ला दे जिसमें दोनों कुमार कैद हैं।

लाड़िली––मैं उद्योग कर सकती हूँ, मगर वह तो हरदम मायारानी की कमर में रहती है!

कगलिनी––उसके लेने की सहज तरकीब मैं बताती हूँ। लाड़िली-क्या?

कमलिनी––(कमर से तिलिस्मी खंजर निकाल और दिखाकर) यह तिलिस्म की सौगात है, हाथ में लेकर जब इसका कब्जा दबाया जायगा तो बिजली की सी चमक पैदा होगी जिसके सामने किसी की आँख खुली नहीं रह सकती। इसके अतिरिक्त इस में और भी दो गुण हैं, एक तो यह कि जिसके बदन से यह लगा दिया जाय उसके बदन में बिजली दौड जाती है और वह तुरत बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ता है, और दूसरे यह हर एक चीज को काट डालने की ताकत रखता है।

कमलिनी ने खंजर का कब्जा दबाया। उसमें से ऐसी चमक पैदा हई कि लाडिली ने दोनों हाथों से आँखें बन्द कर ली और कहा, "बस-बस इस चमक को दूर करो तो आँखें खोलूँ!"

कमलिनी––(कब्जा ढीला करके) लो चमक बन्द हो गई, आँखें खोलो।

लाडिली––(आँखें खोलकर) मेरे हाथ में दो तो मैं भी कब्जा दबा कर देखें! मगर नहीं तुम तो कह चुकी हो कि यह जिसके बदन से छुआया जायगा वह बेहोश हो जायगा, तो मैं इसे कैसे ले सकूँगी और तुम पर इसका असर क्यों नहीं होता?

हम ऊपर लिख आए हैं कि कमलिनी की कमर में दो तिलिस्मी खंजर थे और उनके जोड़ की दो अँगठियाँ भी उसकी उँगलियों में थीं। उसने एक अँगूठी लाडिली की उँगली में पहिना कर उसका गुण अच्छी तरह समझा दिया और कह दिया कि जिसके हाथ में यह अँगूठी रहेगी केवल वही इस खंजर को अपने पास रख सकेगा।

लाडिली––जब ऐमी चीज तुम्हारे पास है तो वह ताली तुम स्वयं उससे ले