पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१६०

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शायद उन्हीं रास्तों में से कोई रास्ता उसे मालूम हो गया हो।

धनपति––मगर उन रास्तों का हाल किसी दूसरे को मालूम हो जाना तो बड़ी भयानक बात है।

मायारानी––और यह एक ताज्जुब की बात है कि उन रास्तों का हाल जब मुझको जो तिलिस्म की रानी कहलाती है, नहीं मालूम तो किसी दूसरे को कैसे मालूम हुआ!

लाड़िली––ठीक है, तिलिस्म की बहुत-सी बातें ऐसी हैं, जो तुम्हें मालूम हैं। मगर नियमानुसार तुम मुझसे भी नहीं कह सकती हो। हाँ, उन रास्तों का हाल जीजाजी[१] को जरूर मालूम था। अफसोस, उन्हें मरे पाँच वर्ष हो गये, अगर जीते होते तो...

मायारानी––(कुछ घबरा कर और जल्दी से) तुम कैसे जानती हो कि उन रास्तों का हाल उन्हें मालूम था?

लाड़िली––हँसी-हँसी में उन्होंने एक दिन मुझसे कहा था कि बाग के तीसरे दर्जे में जाने के लिए पाँच रास्ते हैं, बल्कि वे मुझे अपने साथ वहाँ ले चल कर नया रास्ता दिखाने को तैयार भी थे मगर मैं तुम्हारे डर से उनके साथ न गई।

मायारानी––आज तक तूने यह हाल मुझसे क्यों न कहा?

लाड़िली––मेरी समझ में यह कोई जरूरी बात न थी जो तुमसे कहती।

लाड़िली की बात सुन मायारानी चुप हो गई और बड़े गौर में पड़ गई। उसकी अवस्था और उसकी सूरत पर ध्यान देने से मालूम होता था कि लाड़िली की बात से उसके दिल पर एक सख्त सदमा पहुँचा है और वह थोड़ी देर के लिए अपने को बिल्कुल ही भूल गई है। मायारानी की ऐसी अवस्था क्यों हो गई और इस मामूली-सी बात से उसके दिल पर क्यों चोट लगी इसका सबब उसकी छोटी बहिन लाड़िली भी न समझ सकी। कदाचित् यह कहा जाय कि वह अपने पति को याद करके इस अवस्था में पड़ गई, सो भी नहीं हो सकता। क्योंकि लाड़िली खूब जानती थी कि मायारानी अपने खूबसूरत, हँसमुख और नेक चाल-चलन वाले पति को कुछ भी नहीं चाहती थी। इस समय लाड़िली के दिल में एक तरह का खटका पैदा हुआ और शक की निगाह से मायारानी की तरफ देखने लगी। मगर मायारानी कुछ भी नहीं जानती थी कि उसकी छोटी बहिन उसे किस निगाह देख रही है। लगभग दो सौ कदम चले जाने बाद वह चौंकी और लाड़िली की तरफ जरा-सा मुँह फेर कर बोली, "हाँ, तो वह उन रास्तों का हाल जानता था?"

लाड़िली के दिल में और भी खुटका पैदा हुआ बल्कि इस बात का रंज हुआ कि मायारानी ने अपने पति या लाड़िली के प्यारे बहनोई की तरफ ऐसे शब्दों में इशारा किया जो किसी नीच या खिदमतगार तथा नौकर के लिए बरता जाता है। लाड़िली का

ध्यान धनपत की तरफ भी गया जिसके चेहरे पर उदासी और रंज की निशानी मामूली से कुछ ज्यादा पाई जाती थी और जिसकी घोड़ी भी पाँच-सात कदम पीछे रह गई थी।


  1. जीजाजी से मतलब मायारानी के पति से है जो लाड़िली का बहनोई था।