पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१६

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यहाँ कई लौंडियाँ भी मौजूद थीं। उन्होंने कमलिनी के इशारे से छत के ऊपर रोशनी का बन्दोबस्त कर दिया और सब कोई छत के ऊपर चले गए। कुमार के पास ही कमलिनी गलीचे पर बैठ गई और वे दोनों आदमी भी गठरी सामने रखकर बैठ गये। इस छत की जमीन चिकने पत्थर की बहुत साफ और सुथरी बनी हुई थी, अगर नजाकत की तरफ खयाल न किया जाय तो फर्श या बिछाबन बिछाकर वहाँ बैठने की कोई जरूरत न थी।

कमलिनी––कुमार, देखिए, इन दोनों आदमियों को मैंने माधवी को गिरफ्तार करने को भेजा था। मालूम होता है कि ये लोग अपना काम पूरा कर आए हैं और इस गठरी में शायद माधवी को ही लाए हैं। (दोनों आदमियों की तरफ देखकर) क्यों जी, माधवी ही है या किसी दूसरे को लाए हो?

एक––जी, माधवी को ही लाए हैं।

कमलिनी––गठरी खोलो, जरा इसकी सूरत देखू।

उन दोनों ने गठरी खोली, कमलिनी और कुमार ने बड़े चाव से माधवी की सूरत देखी, परन्तु यकायक कमलिनी चौंकी और बोली, "क्या यह जख्मी है?"

एक––जी हाँ, मुझे उम्मीद नहीं कि इसकी जान बचेगी क्योंकि चोट भारी है।

एक––इसे किसने जख्मी किया है?

एक––किसी औरत ने रोहतासगढ़ के तिलिस्मी तहखाने में इसे चोट पहुँचाई है।

कुमार––(कमलिनी की तरफ देखकर) क्या रोहतासगढ़ में कोई तिलिस्मी तहखाना भी है?

कमलिनी––जी हाँ, पर उसका भेद बहुत आदमियों को मालूम नहीं है, बल्कि जहाँ तक मैं समझती हूँ, वहाँ का राजा दिग्विजयसिंह भी उसका पूरा-पूरा हाल न जानता होगा। वहाँ का मामला भी बड़ा ही विचित्र है, किसी समय मैं आपसे उसका हाल कहूँगी।

एक––मगर अब उस तहखाने की रंगत बदल गई।

कमलिनी––सो क्यों?

एक––(कुमार की तरफ इशारा करके) आपके ऐयारों ने उसमें अपना दखल कर लिया, बल्कि ऐसा कहना चाहिए कि रोहतासगढ़ ही ले लिया।

कमलिनी––(कुमार की तरफ देखकर) मुबारक हो, अच्छी खबर आई है।

कुमार––बेशक इस खबर ने मुझे खुश कर दिया। ईश्वर करे, तुम्हारी तारा भी जल्द आ जाय और किशोरी का कुछ हल मालूम हो। (माधवी को गौर से देख और चौंककर) यह क्या? माधवी की दाहिनी कलाई दिखाई नहीं देती।

कमलिनी––(हँसकर) इसका हाल आपको नहीं मालूम?

कुमार––कुछ नहीं।

कमलिनी––पूरा हाल तो मुझे भी नहीं मालूम, मगर इतना सुना है कि कहीं गयाजी में इसकी और इसके दीवान अग्निदत्त की लड़की कामिनी से लड़ाई हो गई