कुमार––(मैदान की तरफ देख कर) हाँ ठीक है, इसी तरफ आ रहे हैं। उस गट्ठर में शायद कोई आदमी है।
कमलिनी––बेशक ऐसा ही है, (हँसकर) नहीं तो क्या मेरे आदमी मालअसबाब चुराकर लावेंगे! देखिए, वे दोनों कितनी तेजी के साथ आ रहे हैं। (कुछ अटक कर) अब मैंने पहचाना, बेशक इस गठरी में माधवी होगी।
थोड़ी देर तक दोनों आदमी चुपचाप उसी तरफ देखते रहे। जब वे लोग इस मकान के पास पहुँचे तो कमलिनी ने कुमार से कहा––
कमलिनी––मुझे आज्ञा दीजिए तो जाकर इन लोगों को यहाँ लाऊँ।
कुमार––क्या बिना तुम्हारे गये वे लोग यहाँ नहीं आ सकते?
कमलिनी––जी नहीं, जब तक मैं खुद उन्हें किश्ती पर चढ़ा कर यहाँ न लाऊँ वे लोग नहीं आ सकते। वे क्या, कोई भी नहीं आ सकता।
कुमार––क्या हरएक के लिए जब वह इस मकान में आना या जाना चाहे तुम्हीं को तकलीफ करनी पड़ती है? मैं समझता हूँ कि जिस आदमी को तुम एक दफे भी किश्ती पर चढ़ाकर ले जाओगी, उसे रास्ता मालूम हो जाएगा।
कमलिनी––अगर ऐसा ही होता तो मैं इस मकान में बेखटके कैसे रह सकती थी? आप जरा नीचे चलें, मैं इसका सबब आपको बतला देती हूँ।
कुमार खुशी-खुशी उठ खड़े हुए और कमलिनी के साथ नीचे उतर गए। कमलिनी उन्हें उस कोठरी में ले गई जो नहाने के काम में लाई जाती थी और जिसे कुमार देख चुके थे। उस कोठरी में दीवार के साथ एक आलमारी थी जिसे कमलिनी ने खोला। कुमार ने देखा कि उस दीवार के साथ चाँदी का एक मुट्ठा, जो हाथ भर से छोटा न होगा, लगा हुआ है। इसके सिवाय और कोई चीज उसमें नहीं थी।
कमलिनी––मैं पहले ही आपसे कह चुकी हूँ कि इस तालाब में चारों ओर लोहे का जाल पड़ा हुआ है।
कुमार––हाँ, ठीक है। मगर उस रास्ते में जाल न होगा, जिधर से तुम किश्ती लेकर आती-जाती हो।
कमलिनी––ऐसा खयाल न कीजिए। उस रास्ते में भी जाल है, मगर उसे यहाँ आने का दरवाजा कहना चाहिए, जिसकी ताली यह है। देखिये, अब आप अच्छी तरह समझ जायेंगे। (उस चाँदी के मुट्ठे को कई दफे घुमाकर) अब उतनी दूर का या उस रास्ते का जाल, जिधर से किश्ती लेकर मैं आती-जाती हूँ हट गया, मानो दरवाजा खुल गया। अब मैं क्या, कोई भी जिसको आने-जाने का रास्ता मालूम है, किश्ती पर चढ़ के आ-जा सकता है। जब मैं इसको उलटा घुमाऊँगी तो वह रास्ता बन्द हो जायगा अर्थात् वहाँ भी जाल फैल जायगा, फिर किश्ती नहीं आ सकती।
कुमार––(हँसकर) बेशक यह एक अच्छी बात है।
इसके बाद कमलिनी किश्ती पर सवार होकर तालाब के बाहर गई और उन दोनों आदमियों को गठरी सहित सवार कराके मकान में से आई तथा तालाब में आने का रास्ता उसी रीति से, जैसे कि हम ऊपर लिख चुके हैं, बन्द कर दिया। इस समय