पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१२

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जरूर ही करनी पड़ेगी, इसलिए मेरी एक ऐयार रोहतासगढ़ किले के अन्दर भी घुस कर बैठी है और किशोरी के हाल-चाल की खबर दिया करती है। अभी कल ही उसने एक चिट्ठी भेजी थी, (कमर से चिट्ठी निकाल कर और कुमार के हाथ में देकर) लीजिए यही चिट्ठी है, पहले आप इसे पढ़ लीजिए फिर और कुछ कहूँगी।

कुमार हाथ में चिट्ठी लेकर गौर से पढ़ने लगे। यह वही चिट्ठी थी जिस पर पहले कुमार की निगाह पड़ चुकी थी और जिसे एक गुलदस्ते के नीचे से निकाल कर कुमार पढ़ चुके थे। कुमार ने चोरी से उस चिट्ठी को पढ़ने का हाल कमलिनी से कहना मुनासिब न समझा और उसे इस तौर पर पढ़ गए जैसे पहली दफे वह चिट्ठी उनके हाथ में पड़ी हो। परन्तु इस समय इस तरह कमलिनी उनकी दुश्मन नहीं है इस बात को वे अच्छी तरह समझ गए। मगर साथ-ही-साथ उनके दिल में एक दूसरी ही तरह की उत्कण्ठा बढ़ गई और वे यह जानने के लिए व्याकुल हो गए कि कमलिनी और इसकी ऐयारा ने रोहतासगढ़ किले में पहुँच कर क्या किया!

पाठक, शायद आप इस चिट्ठी का मजमून भूल गए होंगे, मगर आप उसे याद करें या पुनः पढ़ जायँ, क्योंकि उसके एक-एक शब्द का मतलब इस समय कमलिनी से कुमार पूछना चाहते हैं।

कुमार––मैं नहीं कह सकता और न मुझे मालूम ही है कि तुम इतनी भलाई मेरे साथ क्यों कर रही हो, तो भी मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम इस समय मुझे चिन्ता में डाल कर दुःख न दोगी, बल्कि जो मैं पूछूँगा उसका ठीक-ठीक जवाब दोगी।

कमलिनी––आप मेरी तरफ से किसी तरह का बुरा खयाल न रक्खें। आज मैं इस बात पर मुस्तैद हूँ कि अगर आपको कष्ट न हो तो रात भर जाग के बहुत कुछ हाल जो अब तक आपको मालूम नहीं है और आपके मतलब का है, आपसे कहूँ और जो-जो सवाल आप करें, उसका जवाब दूँ।

कुमार––मुझे तुम्हारे इस कहने से बड़ी खुशी हुई। अच्छा पहले इस बात का जवाब दो कि तुम्हारी वह ऐयारा, जो रोहतासगढ़ में है और इस चिट्ठी के पढ़ने से जिसका नाम तारा मालूम होता है, रोहतासगढ़ में किस तौर पर है? जहाँ तक मैं सोचता हूँ वह भेष बदल कर नौकरी करती होगी?

कमलिनी––नहीं, उसने नौकरी नहीं, बल्कि वहाँ इस तरह छिपकर रहती है कि वहाँ के किसी आदमी को उसका पता लग जाना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव है।

कुमार––अच्छा, तो उसने यह क्या लिखा है कि––'किशोरी का आशिक भी यहाँ मौजूद है!'

कमलिनी––यह कटाक्ष माधवी के दीवान अग्निदत्त पर है, क्योंकि हम लोगों के हिसाब से वह किशोरी पर आशिक है! वह आपकी तरह सच्चा आशिक नहीं है, मगर बेईमान ऐयारों की तरह जरूर आशिक है।

कुमार––नहीं-नहीं, उसे तो हमारे आदमियों ने गिरफ्तार करके चुनार भेज दिया है!

कमलिनी––आपका यह खयाल गलत है। वह चुनार नही पहुँचा, न मालूम