ने, जो नेक और ईमानदार थे, मेरा साथ दिया। तिलिस्म का जितना हाल उसे मालूम है, उतना ही मुझे भी मालूम है। यही सबब है कि वह अर्थात् तिलिस्मी महारानी (मायारानी) वीरेन्द्रसिंह और उनके खानदान के साथ दुश्मनी कर रही है और मैं हर तरह से उसकी मदद कर रही हूँ। उस तिलिस्मी मकान के अन्दर इन्द्रजीतसिंह और उनके साथियों तथा मेरे नौकरों का हँसते-हँसते कूद जाना उसी तिलिस्मी महारानी की कार्रवाई थी और उस खँडहर वाले तहखाने में जो कुछ तुम लोगों ने देखा, वह सब भी उसी की बदौलत थी। अफसोस, गुप्त राह से महारानी के बहुत से आदमियों के पहुँच जाने के कारण मैं कुछ कर न सकी। खैर, कोई हर्ज नहीं। कुँअर इन्द्रजीतसिंह, आनन्दसिंह और किशोरी तथा कामिनी वगैरह का मायारानी कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती, क्योंकि उसकी असल जमा-पूँजी जो थी, वह मेरे हाथ लग चुकी है जिसका खुलासा हाल इस समय मैं नहीं कह सकती। हाँ, इतना प्रतिज्ञापूर्वक कहती हूँ कि उन लोगों को मैं बहुत जल्द कैद से छुड़ाऊँगी।"
कमला––मैं समझती हूँ कि वह मकान भी तिलिस्मी होगा जिसके अन्दर कुँअर इन्द्रजीतसिंह वगैरह हँसते-हँसते कूद पड़े थे।
कमलिनी––नहीं, उस मकान का तिलिस्म से कोई सम्बन्ध नहीं, वह नया बनाया गया है। मुझे उसकी खबर न थी इसी से मैं धोखे में आ गई, पीछे पता लगाने से मालूम हुआ कि वह भी मायारानी की कार्रवाई थी।
कमला––अब मेरा जी ठिकाने हुआ और आपकी बदौलत अपनी प्यारी सखी किशोरी और कुँअर इन्द्रजीतसिंह वगैरह के छूटने की उम्मीद हई। अब आशा है कि आपकी कृपा से एक दफे मायारानी को भी देखूँगी।
कमलिनी––इसके लिए जल्दी करना मुनासिब नहीं, मैं आज ही कल में तुझे अपने साथ मायारानी के घर ले चलती, क्योंकि मुझे वहाँ जाने की बहुत जल्दी है परन्तु इस समय तेरा रोहतासगढ़ लौट जाना ही ठीक है क्योंकि राजा वीरेन्द्रसिंह लड़कों की जुदाई में हद से ज्यादे दुःखी होंगे, तेरे लौट जाने से उन्हें ढाढ़स होगा और मेरी जुबानी जो कुछ तूने सुना है जब उनसे बयान करेगी तो उन्हें एक प्रकार की आशा हो जायगी। हाँ, एक बात तुझसे पूछना मैं भूल गई।
कमला––वह क्या?
कमलिनी––तू कहती है कि मैं मायारानी को देखना चाहती हूँ, तो क्या तूने उसे नहीं देखा? उसी के आदमी तो तुझे गिरफ्तार करके ले गए थे, जहाँ तक मैं समझती हूँ, तू उसके पास जरूर पहुँचाई गई होगी।
कमला––हाँ-हाँ, मैं एक जनाने दरबार में पहुँचाई गई थी मगर यह नहीं कह सकती कि वह मायारानी का ही दरवार था या कोई दूसरा, और यदि मायरानी का ही दरवार था तो......
कमलिनी––पहले तू अपना हाल कह जा कि जब खँडहर के अन्दर तहखाने में घुमी तो क्या हुआ और क्योंकर गिरफ्तार होकर कहाँ गई?
कमला––जब हम लोग राजा वीरेन्द्रसिंह के साथ कुमार को निकालने के लिए