पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/६

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पात्रों की विशेषताएँ बताई गई हैं। तिलिस्मी और जासूसी उपन्यासों का सैद्धांतिक विश्लेषण कर उनका परीक्षण किया गया है। पर समाजगत मूल्यवत्ता की दृष्टि से वह 'अर्थवान' बहुत-कुछ छूटता गया जिसने प्रेमचन्द जैसे उपन्यासकार को एक निर्मित धरातल दिया...जिसका पक्ष या विपक्ष से उपयोग कर प्रेमचन्द ने उपन्यास विधा को हिन्दी के संदर्भ में आगे बढ़ाया! मेरी जानकारी में चन्द्रकान्ता के पुनर्अध्ययन की सर्जनात्मक कोशिश प्रसिद्ध कथाकार राजेन्द्र यादव ने की...उनके अध्ययन का मूल ही उनके रचनात्मक सरोकारों को स्पष्ट करता है। उन्होंने इस उपन्यास पर विचार क्यों किया? उसकी चर्चा करते वे कहते हैं-

सबसे बड़ा कारण तो मुझे यही लगता है कि जैसा कॅओस, मूल्यों का जैसा धपला, सही गलत की पहचान का जैसा एक सिरे से गायब हो जाना, उस समय के समाज में, कम-से-कम इस उपन्यास में आया है, लोग जिस आसानी से खेमे बदलते हैं; शायद आज आस-पास की स्थिति एकदम वैसी ही है। और इस बात की पड़ताल मेरे अपने लिए बहुत जरूरी हो गयी थी कि उस चतुर्दिक कॅओस में वे क्या सूत्र, युक्ति, जिद या आस्था अी जो लेखक को साधे हुए थीं, क्या था जो छः हजार पन्नों तक लेखक को चलाये रख सका? इसके बहाने संभव है, वही जीज मैं अपने भीतर भी खोज सकूँ! (अठारह उपन्यास-पृ॰ 17-18) लेकिन यह प्रश्न केवल एक लेखक का पूर्ववर्ती लेखक से टकराना या, सार्थकता खोजना ही नहीं है...यह एक कृति को उसके सांस्कृतिक परिदृश्य के बाद दूसरे सांस्कृतिक परिदृश्यमें देखना भी है


तिलिस्म का स्वरूप और प्रकृति

तिलिस्मी और ऐयारी के उपन्यासों की प्रकृति ही विचित्र है। संयोगों और चमत्कारों के बावजूद उनमें मानवीय भावनाओं में केन्द्रित व्यक्ति व्यापार का अद्भुत चित्रण मिलता है। फिर आखिर यह तिलिस्म है क्या?... इस पर प्रकाश डालते खत्री जी ने लिखा कि "खजाने की रक्षा के लिए मन्त्र युक्त बनी इमारत तिलिस्म कहलाती है।" (हिन्दी उपन्यास के सौ वर्ष पृ॰ 24) ऐसे में ज्योतिष के ज्ञाता ज्योतिष शास्त्र के आधार पर सब ग्रह आदि देखकर बताते हैं कि इस वंश में कोई होनहार राजकुमार होगा, और वह इस सम्पत्ति का अधिकारी होगा। जब वह अपनी सम्पत्ति को पाने की कोशिश करेगा तब उसका विरोध भी होगा, लेकिन उसी की शक्ति से डरावनी शक्लों और रासायनिक दवाओं के योग से बने पुतलों आदि का नाश होकर तिलिस्म टूटेगा-तिलिस्म का स्वरूप कुछ ऐसा है कि वह आसानी से नहीं टूटता, और उस सारे जन्तर मन्तर में एक बार प्रवेश करने पर सामान्य रूप से निकलने का रास्ता नहीं मिलता, किन्तु कहीं-न-कहीं वहाँ पर सारे तिलिस्म के रहस्य को खोलने वाली और मार्ग दर्शन वाली एक किताब जरूर होती है और यह किताब भी उसी राजकुमार को मिलती है जो नायक होता है और तिलिस्म को तोड़ने में सफल हो जाता है।

तिलिस्मी संरचना में ऐयारों का गठन और कार्य प्रणाली बड़ी विचित्र होती है