पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/५४

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पकड़ने के लिए ऊपर चढ़ी।

हम ऊपर लिख आये हैं कि यह दरख्त इतने पास-पास लगे हुए थे कि सभी की डालियाँ आपस में गुँथ रही थीं। वनचरी को पेड़ पर चढ़ते देख वह जलचरी ऊपर ही ऊपर दूसरे पेड़ पर कूद गई। यह देखकर योगिनी ने उसके आगे वाले तीसरे पेड़ को जा घेरा, जिसमें वह बीच में फंसी रह जाय और आगे न जाने पावे, मगर यह चालाकी भी न चली। जब उस औरत ने अपने बगल वाले पेड़ को दुश्मनों से घिरा हुआ पाया, पेड़ के नीचे उतर आई लौर तालाब की सीढ़ियों को तै करते हुए धम्म से जल में कूद पड़ी। योगिनी और वनचरी भी साथ ही पेड़ से उतरी और उसके पीछे जाकर इन दोनों ने भी अपने को जल में डाल दिया।

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सूर्य भगवान अस्त होने के लिए जल्दी कर रहे हैं। शाम की ठण्डी हवा अपनी चाल दिखा रही है। आसमान साफ है क्योंकि अभी-अभी पानी बरस चुका है और पछवा हवा ने रूई के पहल की तरह जमे हुए बादलों को तूम-तूम कर उड़ा दिया है। अस्त होते हुए सूर्य की लालिमा ने आसमान पर अपना पूरा दखल जमा लिया है और निकले हुए इन्द्रधनुष पर जिला दे उसके रंगदार जौहर को अच्छी तरह उभाड़ रक्खा है। बाग की रविशों पर जिन पर कुदरती भिश्ती अभी घंटा भर पहले ही छिड़काव कर गया है, घूम-घूम कर देखने से धुले-धुलाये रंग-बिरंगे पत्तों की कैफियत और उन सफेद कलियों की बहार दिल और जिगर को क्या ही ताकत दे रही है जिनके एक तरफ का रंग तो असली, मगर दूसरा हिस्सा अस्त होते हुए सूर्य की लालिमा पड़ने से ठीक सुनहला हो रहा है। उस तरफ से आये हुए खूशबू के झपेटे कहे देते हैं कि अभी तक तो आप दृष्टान्त ही में अनहोनी समझ कर कहा-सुना करते थे, मगर आज 'सोने और सुगन्ध' वाली कहावत देखिए अपनी आँखों के सामने मौजूद ये अधखिली कलियाँ सच किए देती हैं। चमेली की टट्टियों में नाजुक-नाजुक सफेद फूल तो खिले हुए हैं ही, मगर कहीं-कहीं पत्तियों में से छन कर आई हुई सूर्य की आखिरी किरणें धोखे में डालती हैं। यह समझ कर कि आज इन्हीं सुफेद चमेलियों में जर्द चमेली भी खिली हुई है, शौक भरा हाथ बिना बढ़े नहीं रहता। सामने की बनाई हुई सब्जी जिसकी दूब सावधानी से काट कर मालियों ने सब्ज मखमली फर्श का नमूना दिखला दिया है, आँखों को क्या ही तरावट दे रही है। देखिये उसी के चारों तरफ सजे हुए गमलों में खुशरंग पत्तों वाले छोटे जंगली पौधे अपने हुस्न और जमाल के घमंड में पैसे ऐंठे जाते हैं। इनस भी रविशों और क्यारियों के किनारे गुलमेंहदी के पेड़ ठीक पल्टनों की कतार की तरह खड़े दिखाई देते हैं, क्योंकि छुटपने ही से उनकी फैली हुई डालियाँ काटकर मालियों ने मनमानी सूरतें बना डाली हैं। कहने ही को सूरजमुखी का फूल सूर्य की तरफ घूमा रहता है मगर