पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/३७

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भूखे-प्यासे जान दे देनी पड़ेगी? मुसलमानिन के घर में अन्न-जल कैसे ग्रहण करूँ! हाँ, ठीक है, एक सूरत निकल सकती है। (दीवार की तरफ देखकर) इसी खिड़की से वे लोग बाहर निकल गयी हैं। अब की अगर यह खिड़की खुले और वह कमरे में आवे तो मैं जबर्दस्ती इसी राह से बाहर हो जाऊँगा।"

भूखे-प्यासे दिन बीत गया, अँधेरा हुआ चाहता था कि वही छोटी-सी खिड़की खुली और चारों औरतों को साथ लिए वह पिशाची आ मौजूद हुई। एक औरत हाथ में रोशनी, दूसरी पानी, तीसरी तरह-तरह की मिठाइयों से भरा चाँदी का थाल उठाये और चौथी पान का जड़ाऊ डिब्बा लिए साथ मौजूद थी।

आनन्दसिंह पलंग से उठ खड़े हुए और बाहर निकल जाने की उम्मीद में उस खिड़की के अन्दर घुसे। उन औरतों ने इन्हें बिलकुल न रोका क्योंकि वे जानती थी कि सिर्फ इस खिड़की ही के पार चले जाने से उनका काम न चलेगा।

खिड़की पार तो हो गये मगर आगे अंधेरा था। इस छोटी-सी कोठरी में चारों तरफ घूमे मगर रास्ता न मिला। हाँ, एक तरफ बन्द दरवाजा मालूम हुआ जो किसी तरह खुल न सकता था, लाचार फिर उसी कमरे में लौट आये।

उस औरत ने हँसकर कहा, "मैं पहले ही कह चुकी हूँ कि आप मुझसे अलग नहीं हो सकते। खुदा ने मेरे ही लिए आपको पैदा किया है। अफसोस कि आप मेरी तरफ खयाल नहीं करते और मुफ्त में अपनी जान गंवाते हैं! बैठिये, खाइये, पीजिए, आनन्द लीजिये, किस सोच में पड़े हैं!"

आनन्द-मैं तेरा छुआ खाऊँ?

औरत—क्यों, क्या हर्ज है? खुदा सबका है, उसी ने हमको भी पैदा किया, आपको भी पैदा किया। जब एक ही बाप के सब लड़के हैं तो आपस में छूत कैसी!

आनन्दसिंह—(चिढ़कर) खुदा ने हाथी भी पैदा किया, गदहा भी पैदा किया, कुत्ता भी पैदा किया, सूअर भी पैदा किया, मुर्गा भी पैदा किया—जब एक ही बाप के सब लड़के हैं तो परहेज काहे का!

औरत-खैर खुशी आपकी, न मानियेगा पछताइयेगा, अफसोस कीजियेगा और आखिर झख मार फिर वही कीजियेगा जो मैं कहती हूँ। भूखे-प्यासे जान देना मुश्किल बात है—लो, मैं जाती हूँ।

खाने-पीने का सामान और रोशनी वहीं छोड़ चारों लौंडियाँ उस खिड़की के अंदर घुस गयीं। आनन्दसिंह ने चाहा कि जब यह शैतान खिड़की के अन्दर जाय तो मैं भी जबर्दस्ती साथ हो लूँ-या तो पार ही हो जाऊँगा या इसे भी न जाने दूँगा, मगर उनका यह ढंग भी न लगा।

वह मदमाती औरत खिड़की के अन्दर की तरफ पैर लटका कर बैठ गयी और इनसे बात करने लगी।

औरत-अच्छा, आप मुझसे शादी न करें इसी तरह मुहब्बत रखें।

आनन्दसिंह-कभी नहीं, चाहे जो हो।

औरत-(हाथ का इशारा करके) अच्छा, उस औरत से शादी करेंगे जो आपके