पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/२४४

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मदद लेगी। यह बात मेरे दिल में बैठ गई और मैंने शेरसिंह को कैद करने का विचार किया। उसे मेरा इरादा मालूम हो गया और वह चुपचाप न मालूम कहाँ भाग गया।

तेजसिंह-अब आप क्या सोचते हैं? उसका कोई कसूर था या नहीं?

दिग्विजयसिंह-नहीं-नहीं, वह बिल्कुल बेकसूर था, बल्कि मेरी ही भूल थी थी जिसके लिए आज मैं अफसोस करता हूँ। ईश्वर करे, उसका पता लग जाय तो मैं उससे अपना कसूर माफ कराऊँ।

तेजसिंह-आप मुझे कुछ इनाम दें तो मैं शेरसिंह का पता लगा दूँ!

दिग्वजयसिंह-आप जो माँगेंगे मैं दूँगा और इसके अतिरिक्त आपका भारी अहसान मुझ पर होगा।

तेजसिंह-बस, मैं यही इनाम चाहता हूँ कि यदि शेरसिंह को ढूँढ़ कर ले आऊँ तो उसे आप हमारे राजा वीरेन्द्रसिंह के हवाले कर दें! हम उसे अपना साथी बनाना चाहते हैं।

दिग्वजयसिंह-मैं खुशी से इस बात को मंजूर करता हूँ। वादा करने की क्या जरूरत है, जब कि मैं स्वयं राजा वीरेन्द्रसिंह का ताबेदार हूँ।

इसके बाद तेजसिंह ने उस नकाबपोश की तरफ देखा जो उनके पास बैठा हुआ था और जिसे वह अपने साथ इस कमेटी में लाये थे। नकाबपोश ने अपने मुंह पर से नकाब उतार कर फेंक दिया और यह कहता हुआ राजा दिग्विजयसिंह के पैरों पर गिर पड़ा कि 'आप मेरा कसूर माफ करें।' राजा दिग्विजयसिंह ने शेरसिंह को पहचाना, बड़ी खुशी से उठाकर गले लगाया और कहा, "नहीं-नहीं, तुम्हारा कोई कसूर नहीं, बल्कि मेरा कसूर है और मैं तुमसे क्षमा चाहता हूँ।"

शेरसिंहसिंहजते के पास जा बैठे। तेजसिंह ने कहा, "सुनो शेर सिंह, अब तुम हमारे हो चुके!"

शेरसिंह-बेशक मैं आपका हो चुका हूँ, जब आपने महाराज से वचन ले लिया तो अब क्या उज्र हो सकता है?

राजा वीरेन्द्रसिंह ताज्जुब से ये बातें सुन रहे थे। अन्त में तेजसिंह की तरफ देखकर बोले, "तुम्हारी मुलाकात शेरसिंह से कैसे हुई?"

तेजसिंह-शेरसिंह ने मुझसे स्वयं मिलकर सब हाल कहा। असल बात यह है हम लोगों पर भी शेरसिंह ने भारी अहसान किया है।

वीरेन्द्रसिंह-वह क्या?

तेजसिंह-कुँअर इन्द्रजीतसिंह का पता लगाया है और अपने कई आदमी उनकी हिफाजत के लिए तैनात कर चुके हैं। इस बात का भी निश्चय दिला दिया है कि कुँअर इन्द्रजीतसिंह को किसी तरह की तकलीफ न होने पावेगी।

वीरेन्द्रसिंह-(खुश होकर और शेरसिंह की तरफ देख कर) वाह! कहाँ पता लगा और किस हालत में है?

शेरसिंह-जितना हाल मुझे मालूम था, मैं वह सब दीवान साहब (तेजसिंह) से कह चुका हूँ। वह आपसे कह देंगे, आप उसके जानने की जल्दी न करें। मैं इस समय