पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/२३९

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आनन्दसिंह और तेजसिंह उनके पास बैठे हुए थे। अपने-अपने तौर पर सभी ने रोहतासगढ़ के तहखाने का हाल कह सुनाया और अन्त में वीरेन्द्रसिंह से बातचीत होने लगी।

वीरेन्द्रसिंह-रोहतासगढ़ के बारे में अब क्या करना चाहए?

तेजसिंह-इसमें तो कोई शक नहीं कि रोहतासगढ़ के मालिक आप हो चुके! जब राजा और दीवान दोनों आपके कब्जे में आ गये तो अब किस बात की कसर रह गई? हाँ, अब यह सोचना है कि राजा दिग्विजय सिंह के साथ क्या सलूक किया जाय।

वीरेन्द्रसिंह-और किशोरी के लिए क्या बन्दोबस्त करना चाहिए?

तेजसिंह-जी हाँ, यही दो बातें हैं। किशोरी के बारे में तो मैं अभी कुछ कह कह नहीं सकता, बाकी राजा दिग्विजयसिंह के बारे में पहले आपकी राय सुनना चाहता हूँ।

वीरेन्द्रसिंह-मेरी राय तो यही है कि यदि वह सच्चे दिल से ताबेदारी कबल करे तो रोहतासगढ़ पर खिराज (मालगुजारी) मुकर्रर करके उसे छोड़ देना चाहिए।

तेजसिंह-मेरी भी यही राय है।

भैरोंसिंह-यदि वह इस समय कबूल करने के बाद पीछे बेईमानी पर कमर बाँधे, तो?

तेजसिंह-ऐसी उम्मीद तो नहीं है। जहाँ तक मैंने सुना है, वह ईमानदार, सच्चा और बहादुर जाना जाता है। ईश्वर न करे यदि उसकी नीयत कुछ दिन बात बदल भी जाय तो हम लोगों को इसकी परवाह न करनी चाहिए।

वीरेन्द्रसिंह-इसका विचार कहाँ तक किया जायगा! (तारासिंह की तरफ देख कर) तुम जाओ, दिग्विजयसिंह को ले आओ, मगर मेरे सामने हथकड़ी-बेड़ी के साथ मत लाना।

'जो हुक्म' कहकर तारासिंह दिग्विजयसिंह को लाने के लिए चले गये और थोडी ही देर में उन्हें अपने साथ लेकर हाजिर हुए। तब तक इधर-उधर की बातें होती रहीं। दिग्विजयसिंह ने अदब के साथ राजा वीरेन्द्रसिंह को सलाम किया और हाथ जोड कर सामने खड़ा हो गया।

वीरेन्द्रसिंह-कहिये, अब क्या इरादा है?

दिग्विजयसिंह-यही इरादा है कि जन्म भर आपके साथ रहूं और ताबेदारी करूँ।

वीरेन्द्रसिंह-नीयत में किसी तरह का फर्क तो नहीं है?

दिग्विजयसिंह-आप ऐसे प्रतापी राजा के साथ खुटाई रखने वाला पूरा कम्बख्त है। वह पूरा बेबकूफ है जो किसी तरह पर आपसे जीतने की उम्मीद रक्खे। इसमें कोई शक नहीं कि आपका एक-एक ऐयार दस-दस राज्य गारत कर देने की सामर्थ्य रखता है। मुझे इस रोहतासगढ़ किले की मजबूती पर बड़ा भरोसा था, मगर अब निश्चय हो गया कि वह मेरी भूल थी। आप जिस राज्य को चाहें, बिना लड़े फतह कर सकते हैं। मेरी तो अक्ल नहीं काम करती, कुछ समझ में नहीं आता कि क्या हुआ और आपके