किताब पढ़ने से उन्हें यह भी मालूम हो गया था कि इस तहखाने के कायदे से मुताबिक ये जरूर मारे जायेंगे, फिर भी ज्योतिषीजी को इनके बचने की उम्मीद कुछ-कुछ जरूर थी, क्योंकि पण्डित बद्रीनाथ कह गये थे कि 'आज इस तहखाने में कुँअर आनन्दसिंह आवेंगे, और उनके थोड़ी ही देर बाद कुछ आदमियों को लेकर हम भी आवेंगे।' अब ज्योतिषीजी सिवाय इसके और कुछ नहीं कर सकते थे कि राजा को बातों में लगाकर देर करें, जिसमें पण्डित बद्रीनाथ वगैरह आ जाये और आखिर उन्होंने ऐसा ही किया। ज्योतिषीजी अर्थात् दारोगा साहब राजा के सामने गये और बोले-
दारोगा-मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि आप-से-आप कुँअर आनन्दसिंह हम लोगों के कब्जे में आ गये।
राजा-(सिर से पैर तक ज्योतिषीजी को अच्छी तरह देख कर) ताज्जुब है कि आप ऐसा कहते हैं! मालूम होता है कि आज आपकी अक्ल घास चरने चली गई है! छी! छी!!
दारोगा-(घबराकर और हाथ जोड़कर) सो क्यों महाराज?
राजा-(रज होकर) फिर भी आप पूछते हैं, सो क्यों? आप ही कहिये, आनन्दसिंह आप से आप यहाँ आ फंसे तो क्यों आप खुश हए?
दारोगा-मैं यह सोचकर खुश हुआ कि जब इनकी गिरफ्तारी का हाल राजा वीरेन्द्रसिंह सूनेंगे, तो जरूर कहला भेजेंगे कि आनन्दसिंह को छोड़ दीजिए, इसके बदले में हम कुँअर कल्याणसिंह को छोड़ देंगे।
राजा-अब मुझे मालूम हो गया कि तुम्हारी अक्ल सचमुच घास चरने गई है या तुम वह दारोगा नहीं हो, कोई दूसरे हो।
दारोगा—(काँप कर) शायद आप इसलिए कहते हों कि मैंने जो कुछ अर्ज किया, इस तहखाने के कायदे के खिलाफ किया।
राजा–हाँ, अब तुम राह पर आये! बेशक ऐसा ही है। मुझे इनके यहाँ आ फँसने का रंज है। अब मैं अपनी और अपने लड़के की जिन्दगी से भी नाउम्मीद हो गया। बेशक अब यह रोहतासगढ़ उजाड़ हो गया। मैं किसी तरह कायदे के खिलाफ नहीं कर सकता, चाहे जो हो, आनन्दसिंह को अवश्य मारना पड़ेगा और आनन्दसिंह पहले-पहल यहाँ नहीं आये बल्कि इनके कई ऐयार इसके पहले भी जरूर यहाँ आकर सब हाल देख गये होंगे। कई दिनों से यहाँ के मामले में जो विचित्रता दिखाई पड़ती है यह सब उसी का नतीजा है। सच तो यह है कि इस समय की बातें सुनकर मुझे आप पर भी शक हो गया है। यहाँ का दारोगा इस तरह आनन्दसिंह के आ फँसने से कभी यह न कहता कि मैं खुश हूँ। वह जरूर समझता कि कायदे के मुताबिक इन्हें मारना पड़ेगा, इसके बदले में कल्याणसिंह मारा जायेगा, और इसके अतिरिक्त वीरेन्द्रसिंह के ऐयार लोग ऐयारी के कायदे को तिलांजलि देकर बेहोशी की दवा के बदले जहर का इस्तेमाल करेंगे और एक ही सप्ताह में रोहतासगढ़ को चौपट कर डालेंगे। इस तहखाने के दारोगा को जरूर इस बात का रंज होता।
राजा की बातें सुनकर ज्योतिषीजी की आँखें खुल गयीं। उन्होंने मन में अपनी