पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/२३३

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कुछ काम कर रहे थे। बाबाजी को देखते ही वे लोग उठ खड़े हुए। बाबाजी ने उन लोगों की तरफ देख कर कहा, "नानक को मैं ठिकाने पहुँचा आया हूँ, बड़ा भारी ऐयार निकला, हम लोग उसका कुछ न कर सके। खैर, उसे गंगा किनारे उसी जगह पहुँचा दो जहाँ बजरे से उतरा था, उसके लिए कुछ खाने की चीज भी वहाँ रख देना।" इतना कहकर बाबाजी वहाँ लौटे और महारानी के पास पहुँचे। इस समय महारानी का दरबार उस ढंग का न था और न भीड़भाड़ ही थी। सिंहासन और कुर्सियों का नाम-निशान न था; केवल फर्श बिछा हुआ था जिस पर महारानी, रामभोली और वह औरत, जिसके घोड़े पर सवार हो रामभोली नानक से जुदा हुई थी, बैठी आपस में कुछ बातें कर रही थीं। बाबाजी ने पहुँचते ही कहा, "मैं नहीं समझता था कि नानक इतना बड़ा धूर्त और चालाक निकलेगा। धनपति ने कहा था कि वह बहुत सीधा है, सहज ही में काम निकल जायगा, व्यर्थ इतना आडम्बर करना पड़ा!"

पाठक याद रखें, धनपति उसी औरत का नाम था जिसके घोड़े पर सवार होकर रामभोली नानक के सामने से भागी थी। ताज्जुब नहीं कि धनपति के नाम से बारीक खयाल वाले पाठक चौंकें और सोचें कि ऐसी औरत का नाम धनपति क्यों हुआ! यह सोचने की बात है और आगे चलकर यह नाम कुछ रंग लावेगा।

धनपति––खैर, जो होना था, सो हो चुका, इतना तो मालूम हुआ कि हम लोग नानक के पंजे में फँस गये। अब कोई ऐसी तरकीब करनी चाहिए जिससे जान बचे और नानक के हाथ से छुटकारा मिले।

बाबाजी––मैं तो फिर भी नसीहत करूँगा कि आप लोग इस फेर न पड़ें। कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह बड़े प्रतापी हैं, उन्हें अपने अधीन करना और उनके हिस्से की चीज छीन लेना बहुत कठिन है, सहज नहीं। देखा, पहली ही सीढ़ी में आप लोगों ने कैसा धोखा खाया। ईश्वर न करे, यदि नानक मर जाय या उसे कोई मार डाले और वह किताब उसी के कब्जे में रह जाय और पता न लगे क्या आप लोगों के बचने की कोई सूरत हो सकती है?

रामभोली––बेशक कभी नहीं, बेशक हम लोग बुरी मौत मारे जायेंगे।

वाबाजी––मैं बेशक जोर देता और ऐसा कभी होने न देता मगर सिवाय समझाने के और कुछ नहीं कर सकता।

महारानी––(बाबाजी की तरफ देखकर) एक दफे और उद्योग करूँगी अगर काम न चलेगा तो फिर जो कुछ आप कहेंगे, वही किया जायगा।

बाबाजी––मर्जी तुम्हारी, मैं कुछ कह नहीं सकता।

महारानी––(धनपति और रामभोली की तरफ देख कर) सिवाय तुम दोनों के इस काम के लायक और कोई भी नहीं है।

धनपति––मैं जान लड़ाने से कब बाज आने वाली हूँ।

रामभोली––जो हुक्म होगा, करूँगी ही।

महारानी––तुम दोनों जाओ और जो कुछ करते बने, करो!

रामभोली––काम बाँट दीजिए।