पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/२१०

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उनके पैरों से टकराई, जिसकी ठोकर खा वे गिर पड़े, मगर फिर सम्हलकर आगे बढ़े, लेकिन ताज्जुब करते थे कि यह लाश किसकी है। मालूम होता है यहाँ कोई खून हुआ है, और ताज्जुब नहीं कि वह भागने ही वाला खूनी हो ! वह आदमी आगे-आगे सुरंग में भागा जाता था और पीछे-पीछे ज्योतिषीजी हाथ में खंजर लिये दौड़े जा रहे थे, मगर वे उसे किसी तरह पकड़ न सके। यकायक सुरंग के मुहाने पर रोशनी मालूम हुई। ज्योतिषीजी समझे कि अब वह बाहर निकल गया। दम-भर में ये भी वहाँ पहुँचे और सुरंग के बाहर निकल चारों तरफ देखने लगे। ज्योतिषीजी की पहली निगाह जिस पर पड़ी वह पण्डित बद्रीनाथ थे। देखा कि एक औरत को पकड़े हुए बद्रीनाथ खड़े हैं और दिन आधी घड़ी से कम बाकी है।

बद्रीनाथ–दारोगा साहब, देखिये आपके यहाँ चोर घुसे और आपको खबर भी नहीं!

ज्योतिषीजी-अगर खबर न होती तो पीछे-पीछे दौड़ा हुआ यहाँ तक क्यों आता।

बद्रीनाथ-फिर भी आपके हाथ से तो चोर निकल ही गया था। अगर इस समय हम न पहुँच जाते तो आप इसे न पा सकते।

ज्योतिषीजी-हाँ, बेशक इसे मैं मानता हूँ। क्या आप पहचानते हैं कि यह कौन है? याद आता है कि इस औरत को मैंने कभी कहीं देखा है।

बद्रीनाथ–जरूर देखा होगा, अब इसे तहखाने में ले चलो, फिर देखा जायगा। इसका तहखाने से खाली हाथ निकलना मुझे ताज्जुब में डालता है।

ज्योतिषीजी-यह खाली हाथ नहीं, बल्कि हाथ साफ करके आयी है। इसके पीछे आते समय एक लाश मेरे पैरों से टकराई थी, मगर पीछा करने की धुन में मैं कुछ जाँच न कर सका।

पण्डित बद्रीनाथ और ज्योतिषीजी उस औरत को गिरफ्तार किये हुए तहखाने में आये और उस दालान या बारहदरी में, जिसमें दारोगा साहब की गद्दी लगी रहती थी, पहुँचे। उस औरत को खम्भे के साथ बाँध दिया और हाथ में लालटेन ले उस लाश को देखने गये जो ज्योतिषीजी के पैरों में अड़ी थी। बद्रीनाथ ने देखते ही उस लाश को पहचान लिया और बोले, "यह तो माधवी है!"

ज्योतिषीजी-यह यहाँ क्योंकर आयी? (माधवी की नाक पर हाथ रखकर) अभी दम है, मरी नहीं। यह देखिये, इसके पेट में जख्म लगा है। जख्म भारी नहीं है, बच सकती है।

बद्रीनाथ–(नब्ज देखकर) हाँ, बच सकती है। अभी इसके जख्म पर पट्टी बाँध कर इसी तरह छोड़ दो, फिर बूझा जायगा। हाँ, थोड़ा-सा अर्क इसके मुँह में डाल देना चाहिए।

बद्रीनाथ ने माधवी के जख्म पर पट्टी बाँधी और थोड़ा-सा अर्क भी उसके मुँह में डालकर उसे वहाँ से उठा दूसरी कोठरी में ले गये। इस तहखाने में कई जगह से रोशनी और हवा पहुँचा करती थी, कारीगरों ने इसके लिए अच्छी तरकीब की थी।