खिदमतगार––मैं ताज्जुब के साथ यह इत्तिला करते डरता हूँ कि दीवान साहब (रामानन्द ड्योढ़ी पर हाजिर हैं।
महाराज––रामानन्द!
खिदमतगार––जी हाँ।
महाराज––(तेजसिंह की तरफ देखकर) यह क्या मामला है?
तेजसिंह––(मुस्कुराकर) महाराज, बस, अब काम निकला ही चाहता है। मैं जो कुछ अर्ज कर चुका, वही बात है। कोई ऐयार मेरी सूरत बनाकर आया है और आपको धोखा देना चाहता है। लीजिये, इस कम्बख्त को तो मैं अभी गिरफ्तार करता हूँ, फिर देखा जायगा। सरकार उसे पहले हाजिर होने का हुक्म दें, फिर देखें, मैं क्या। मुझे जरा छिप जाने दें, वह आकर बैठ तो मैं उसका पर्दा खोलूँ।
महाराज––तुम्हारा कहना ठीक है, बेशक कोई ऐयार ही है। अच्छा, तुम छिप जाओ, फिर मैं उसे बुलाता हूँ।
तेजसिंह––बहुत खूब, मैं छिप जाता हूँ। मगर ऐसा है कि सरकार उसकी दाढ़ी-मूँछ पर खूब ध्यान दें, मैं यकायक पर्दे से निकलकर उसकी दाढ़ी उखाड़ लूँगा, क्योंकि नकली दाढ़ी परा-सा ही झटका चाहती है।
महाराज––(हँसकर) अच्छा-अच्छा! (खिदमतगार की तरफ देखकर) देखो, उससे और कुछ मत कहना, केवल हाजिर होने का हुक्म सुना दे।
तेजसिंह दूसरे कमरे में जाकर छिप रहे और असली रामानन्द धीरे-धीरे वहाँ पहुँचा जहाँ महाराज विराज रहे थे। रामानन्द को ताज्जुब था कि अक्ष महाराज ने देर क्यों लगाई, इससे उसका चेहरा भी कुछ उदास सा हो रहा था। दाज तो वही थी जो तेजसिंह ने लगा दी थी। तेजसिंह ने दाढ़ी बनाते समय जानबूझ कर कुछ फर्क डाल दिया था, जिस पर रामानन्द ने तो कुछ ध्यान न दिया, मगर वही फर्क अब महाराज की आँखों में खटकने लगा। जिस निगाह से कोई किसी बहुरूपिये को देखता है उसी निगाह से बिना कुछ बोले-चाले महाराज अपने दीवान साहब को देखने लगे। रामानन्द यह देखकर और भी उदास हुआ कि इस समय महाराज की निगाह में अन्तर क्यों पड़ गया है।
तरद्दुद और ताज्जुब के सबब रामानन्द के चेहरे का रंग जैसे-जैसे बदलता गया, तैसे-तैसे उसके ऐयार होने का शक भी महाराज के दिल में बैठता गया। कई सायत बीतने पर भी न तो रामानन्द ही कुछ पूछ सका और न महाराज ही ने उसे बैठने का हुक्म दिया। तेजसिंह ने अपने लिए यह मौका बहुत अच्छा समझा, झट बाहर निकल आये और हँसते हुए एक फर्शी सलाम उन्होंने रामानन्द को किया। ताज्जुब, तरद्दुद और डर से रामानन्द के चेहरे का रंग उड़ गया और वह एकटक तेजसिंह की तरफ देखने लगा।
ऐयारी भी कठिन काम है। इस फन में सबसे भारी हिस्सा जीवट का है। जो ऐयार जितना डरपोक होगा, उतना ही जल्द फँसेगा। तेजसिंह को देखिये, किस जीवट