कमला-जी हाँ!
आदमी-(किन्नरी की तरफ इशारा करके) इन्हीं का नाम कामिनी है?
कमला-जी हाँ।
आदमी–कामिनी! आओ बेटी, तुम मेरे पास बैठो। मैं जिस तरह कमला को समझता हूँ, उसी तरह तुम्हें भी मानता हूँ।
कामिनी-बेशक कमला की तरह मैं भी आपको अपना सगा चाचा मानती हूँ।
आदमी-तुम किसी तरह की चिन्ता मत करो। जहाँ तक होगा, मैं तुम्हारी मदद करूँगा। (कमला की तरफ देखकर) तुझे कुछ रोहतासगढ़ की खबर भी मालूम है?
कमला-कल मैं वहाँ गई थी, मगर अच्छी तरह मालूम न कर सकी। आपसे यहाँ मिलने का वादा किया था, इसलिए जल्दी लौट आई।
आदमी-अभी पहर-भर हुआ, मैं खुद रोहतासगढ़ से चला आता हूँ। कमला-तो बेशक आपको बहुत-कुछ हाल वहाँ का मिला होगा।
आदमी-मुझसे ज्यादा वहाँ का हाल कोई नहीं मालूम कर सकता। पच्चीस वर्ष तक ईमानदारी और नेकनामी के साथ वहां के राजा की नौकरी कर चुका हूँ। चाहे आज दिग्विजयसिंह हमारे दुश्मन हो गये हैं, फिर भी मैं कोई काम ऐसा न करूँगा जिससे उस राज्य का नुकसान हो। हाँ, तुम्हारे सबब से किशोरी की मदद ज़रूर करूँगा।
कमला-दिग्विजयसिंह नाहक हो आपसे रंज हो गये।
आदमी-नहीं-नहीं, उन्होंने अनर्थ नहीं किया। जब वे किशोरी को जबर्दस्ती अपने यहाँ रखा चाहते हैं और जानते हैं कि शेरसिंह ऐयार की भतीजी कमला किशोरी. के यहाँ नौकर लगी है और ऐयारी के फन में तेज है। वह किशोरी को छुड़ाने के लिए दाँव-घात करेगी, तो उन्हें मुझसे परहेज करना बहुत मुनासिब था, चाहे मैं कैसा ही खैरख्वाह और नेक क्यों न समझा जाऊँ। उन्होंने मुझे कैद करने का इरादा बेजा नहीं किया। हाय ! एक वह जमाना था कि रणधीरसिंह (किशोरी का नाना) और दिग्विजयसिंह में दोस्ती थी, मैं दिग्विजयसिंह के यहाँ नौकर था और मेरा छोटा भाई अर्थात् तुम्हारा बाप (ईश्वर उसे वैकुण्ठ दे) रणधीरसिंह के यहाँ रहता था। आज देखो, कितना उलट-फेर हो गया है। मैं बेकसूर कैद होने के डर से भाग तो आया, मगर लोग जरूर कहेंगे कि शेरसिंह ने धोखा दिया।
कमला-जब आप दिल से रोहतासगढ़ की बुराई नहीं करते, तो लोगों के कहने से क्या होता है, वे लोग आपकी बुराई क्यों कर दिखा सकते हैं?
शेरसिंह-हाँ ठीक है, खैर, इन बातों को जाने दो, हाँ, कुन्दन बेचारी को लाली ने खूब ही छकाया, अगर मैं लाली का एक भेद न जानता होता और कुन्दन को न कह देता तो लाली कुन्दन को जरूर बर्बाद कर देती। कुन्दन ने भी भूल की, अगर वह अपना सच्चा हाल लाली से कह देती तो बेशक दोनों में दोस्ती हो जाती।
कमला-कुँअर इन्द्रजीतसिंह का भी कुछ हाल मालूम हुआ?
च॰ स॰-1-11