पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१६८

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इतने में सीढ़ियों पर किसी के चढ़ने की आहट मालूम हुई और दोनों उस तरफ देखने लगीं। कुन्दन ने पहुँचकर दोनों को सलाम किया और हँसी-हँसी में लाली की तरफ देखकर बोली, "एक आदमी तुम्हें खोजता हुआ आया है, वह कहता है कि लाली ने मेरी किताब चुराई है, वह किताब जो किसी के खून से लिखी गई है।"

कुन्दन के इन शब्दों में न मालूम क्या भेद भरा हुआ था कि सुनते ही लाली का रंग उड़ गया। खौफ के मारे उसके तमाम बदन में कँपकँपी पैदा हो गई और मालूम होता था कि किसी ने उसके तमाम बदन का खून खींच लिया है। थोड़ी देर तक वह अपने हवास में न रही, अन्त में हाथ जोड़कर उसने कुन्दन से कहा––

लाली––कुन्दन, मुझसे बड़ी भूल हुई। मुझ पर रहम खा! मैं तमाम उम्र तेरी लौंडी बनकर रहूँगी!

कुन्दन––क्या गुलामी की दस्तावेज मेरे आँचल पर लिख देगी?

कुन्दन के इस दूसरे जुमले ने तो लाली को एकदम ही बदहवास कर दिया। अबकी दफे वह अपने को किसी तरह न सँभाल सकी, उसका सिर घूमने लगा और वह चक्कर खाकर जमीन पर गिर पड़ी।

लाली का यह हाल देख कुन्दन चुपचाप वहाँ से चली गई, मगर उसकी सूरत से मालूम होता था कि वह अपनी कार्रवाई पर खुश है या उसने लाली के ऊपर अपनी हुकूमत पैदा कर ली है। उसका मुंह सिकोड़ कर सिर हिलाना कहे देता था कि वह लाली पर कुछ और भी जुल्म किया चाहती है।

बेचारी किशोरी का अजब हाल था। नारंगी वाला भेद जानने के लिए वह पहले ही परेशान थी, अब इस दूसरे भेद ने और भी कलेजा ऐंठ दिया। उसने बड़ी मुश्किल से अपने को सँभाला और लाली को उसी तरह छोड़ छत के नीचे उतर आई तथा अपने कमरे से एक गिलास जल लाकर लाली के मुँह पर छींटा दिया। थोड़ी देर में लाली होश में आई और विना कुछ बात किये रोती हुई अपने रहने की जगह चली गई और किशोरी भी अपने कमरे की तरफ रवाना हुई।

जिस कमरे में किशोरी रहती थी, वह एक खुशनुमा बाग के बीचोंबीच में था। इस बाग के चारों कोनों में छोटी-छोटी चार इमारतें और भी थीं। एक में वे सब औरतें रहती थीं जो किशोरी की हिफाजत के लिए मुकर्रर की गई थीं। इन औरतों की अफसर लाली थी। दूसरे मकान में दो-तीन लौंडियों के साथ लाली रहती थी। तीसरा मकान अमीराना ठाठ से रहने के लिए कुन्दन को मिला हुआ था, चौथे मकान में जो सबसे छोटा था, ताला बंद था, मगर बारी-बारी से कई औरतें नंगी तलवार लिये उसके दरवाजे पर पहरा दिया करती थीं। यह बाग जनाने महल में था और किसी गैर का यहाँ आना या यहाँ से किसी का निकल भागना बड़ा ही मुश्किल था।