पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१३१

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क्या है कि कोई उनकी तरफ झाँक रहा या इस उम्मीद में खड़ा है कि वे उसकी तरफ देखें और कुछ पूछे। आखिर उस सिपाही ने जान-बूझ कर किवाड़ का एक पल्ला इस ढंग से खोला कि कुछ आवाज हुई, साथ ही कुमार ने घूम कर उसकी तरफ देखा और इशारे से पूछा कि क्या है।

राजा सुरेन्द्रसिंह, वीरेन्द्रसिंह, इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह का बराबर के लिए हुक्म था कि मौका न होने पर चाहे किसी की इत्तिला न की जाय मगर जब कोई ऐयार आवे और कहे कि मैं ऐयार हैं और इसी समय मिलना चाहता हूँ तो चाहे कैसा ही बेमौका क्यों न हो हम तक उसकी इत्तिला जरूर पहुँचनी चाहिए। अपने घर के ऐयारों के लिए तो कोई रोक-टोक थी नहीं, चाहे वह कुसमय में भी महल में घुस जायें या जहाँ चाहे वहाँ पहुँचें, महल में उनकी खातिर और उनका लिहाज ठीक उतना ही किया जाता था जितना पन्द्रह वर्ष के लडके का किया जाता और इसी का ठीक नमूना ऐयार लोग दिखलाते थे।

सिपाही ने हाथ जोड़ कर कहा, "एक ऐयार हाजिर हुआ है और इसी समय कुछ अज करना चाहता है!" कुमार ने कहा, "रोशनी को तेज कर दो और उसे अभी यहाँ लाओ।" थोड़ी देर के बाद स्याह मखमल की चुस्त पोशाक पहने, कमर से खंजर लटकाये, हाथ में कमन्द लिए एक खूबसूरत लड़का कमरे में आ मौजूद हुआ।

इन्द्रजीतसिंह ने गौर से उसकी ओर देखा, साथ ही उनके चेहरे को रगत बदल गई। जो अभी उदास मालूम होता था, खशी से दमकता हआ दिखाई देने लगा।

इन्द्रजीतसिंह-मैं तुम्हें पहचान गया।

लड़का-क्यों न पहचानेंगे जब कि आपके यहां एक-से-एक बढ़ कर ऐयार है और दिन-रात उनका संग है, मगर इस समय मैंने भी अपनी सूरत अच्छी तरह नहीं बदली है।

इन्द्रजीतसिंह–कमला, पहले यह कहो कि किशोरी कहाँ और किस हालत में हैं, और उन्हें अग्निदत्त के हाथ से छुट्टी मिली या नहीं?

कमला-अग्निदत्त को अब उनकी कोई खबर नहीं है।

इन्द्रजीतसिंह-इधर आओ और हमारे पास बैठो। खुलासा कहो कि क्या-क्या हुआ, मैं तो इस लायक नहीं कि अपना मुँह उन्हें दिखाऊँ, क्योंकि मेरे किए कुछ भी न हो सका।

कमला-(बैठ कर) आप ऐसा खयाल न करें, आपने बहुत-कुछ किया, अपनी जान देने को तैयार हो गए और महीनों दुःख भी झेला। आपके ऐयार लोग अभी तक राजगृह में इस मुस्तैदी से काम कर रहे हैं कि अगर उन्हें यह मालूम हो जाता कि किशोरी वहां नहीं हैं तो उस राज्य का नाम-निशान मिटा देते।

इन्द्रजीतसिंह-मैंने भी यही सोच के उस तरफ ज्यादा जोर नहीं दिया कि कहीं अग्निदत्त के हाथ पड़ी हुई बेचारी किशोरी पर कुछ आफत न आवे। हाँ तो अब किशोरी वहाँ नहीं हैं?

कमला-नहीं।