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दारिउँ दास बहुल लै लाई । नारिंग इरिक कहे न आई ॥३ कटहर तार फरे अविरामा । जामुन कै गिनती को जाना ॥४ [--............-11[.............-1 ||५ बॉस सजूर पर पीपरा, अपिली भई सेवार ॥६ राय महर के चारी, देवस होइ अँधियार ॥७ टिप्पणी-(१) गोवर-दौलतकाजीने अपने सति मयना उ रोर-चन्द्राहीमें इसका नाम गोहारि दिया है। उसकी विवेचना करते हुए हरिहरनिवास द्विवेदीने उसे ग्वालियर बतानेका प्रयत्न किया है (साधन कृत मैना सत, पृ० ११३-११४)। किन्तु गोवर नगर ग्वालियरसे सर्वथा भिन्न था यह रिताईवार्ता साक्ष्यसे सिद्ध है। भगरचन्द नाहटाको इसकी जो प्रति मिली है, उसमें देवचन्दने दामोदरका परिचय देते हुए उनका जन्मस्थान गोवर बताया है (काइयवश तामोरी जाता। गोवर गिरी तिनको उतपाता ।।) और अपने जन्मस्थान रूपमें ग्वालियरका नाम लिया है ( देवीमत कवि दिउचन्दु नाम् | जन्म भूमि गोपाचल गाऊँ ।) लोक कथाओंमें इसका नाम गौर या गौराके रूपमे आया है। मतीशचन्द्रदासपा कहना है कि यह माल्दा जिले (यगाल) में है। (जनल आय द मिथिक सोसाइटी, खण्ड २५, पृ० १२२)। सत्यगत सिन्हाने लिखा है कि बिहारवे शाहाबाद जिलेमें डुमराव तहसीलम गउरा नामक ग्राममें अहीरोंको एक बहुत बडी वस्ती है। लोरिकीरे गायक्से यह ज्ञात हुआ कि लोरिक इसी गउराका रहनेवाल था। अहीरों की पडी वस्ती से हम यह अनुमानकर सकते हैं कि रोरिक्या स्थान यही है (मोजपुरी रोकगाथा, पृ० ९२)। प्रस्तुत काव्यमे जो भौगोलिक सूत्र उप है उनसे ज्ञात होता है कि गोवर गगा नदीसे बहुत दूर न रहा होगा। गोवर से निकर देवहा नदी होने का पता भी इस काव्यमें मिलता है। देवहा नदीकी पहचान होनेपर इस स्थानका निश्चय अधिक प्रामाणिस्तासे किया जासगा। अभी इससे सम्बन्धमे इठना ही कहा जा सकता है कि वह गगारे मैदानमें पूर्वी उत्तरप्रदेश अश्या विहारमे कही रहा होगा । कूषा-वृप । घाई-यापी । अपराउँ--आम्राराम, आम का बगीचा। गोवा-(स० गुवार) एक प्रकारची सुपारी । नरियर--नारिया । (३) दारिंउ-दाडिम, अनार | दाख-अगर । (४) कटहरपटाल । तार-तार।