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परवर्ती साहित्यपर प्रभाव हिन्दीय परवता मुसलमान कवियोंने चन्दायनको अपनी रचनाओंये निमित्त आदर्श रूपमें स्वीकार किया था, यह तथ्य उनकी रचनाओंको देसने मात्र ज्ञात होता है । उन्होंने छन्द योजना की प्रेरणा चन्दायनसे ली । धुतमनकी मिरगारति और मंझनवे मधुमारतिम पाँच यमक और एक घत्तावाला पटवक मिलता है। चन्दायनी तरह ही उनके काव्य आरम्मम ईश्वर,पैगम्बर, चार यार, गुरु, शाहेवक्त आदिकी प्रशसा और उरलेस पाया जाता है। तदन्तर सभी काव्य अपना आरम्भ चन्दायनकी तरह ही नगर वर्णनसे करते हैं और तब कया आगे बढ़ती है। ___ सभी क्याओम हम पाते हैं कि नायक अथवा नायिथाके जन्मरे पश्चात् ज्योतिषी आते है और उनके भविष्यकी घोषणा करते हैं। लोरक्की तरह ही सभी काव्यों नायक योगीका रूप धारण करते हैं। पदमावतम रतनसेन पद्मावतीने लिए, मधुमालतिम मनोहर मधुमालती लिए, चिगवलीम मुजान चिनावली लिए योगी बनकर निकलते हैं । मिरगावतिका नायक भी योगी होता है। सभी कवि दाऊदनी तरह ही योगी वेश भूपाका चित्रण करते हैं । जिस तरह दाउदने चाँदके रूप सौन्दर्यको महत्व देने के लिए उसके शिस- नसका वर्णन किया है, उसी तरह नायिकाओका रूप वर्णन प्राय अन्य सभी कवियों- ने किया है। जायसी, मंझन, उसमान सभीने पेश, अल्प, गीश, ललाट, भी, भयन, यपोल, नासिका, अधर, दाँत, रसना, कान, ग्रीव, कलाई, मुच, पटि, नितम्ब, जध, चरण आदिका विशद वर्णन किया है। जिस तरह दाऊदने चाँदको हेयर हरदीपाटन पहुँचनेतक होरक्वे मार्गम अनेक कठिनाइयों का उत्रेय किया है, उसी प्रकार अन्य सभी कवि अपनी प्रेमिकाकी मासिके पूर्व नायकोंको अनेक प्रकारकी बाधाओंका मामना करते हुए दिखाते हैं। चॉदके रूपपर आसत्त होकर लेरक जिस प्रकार घर आवर पड रहता है और युटुम्य लोग देखने आते है, वैद्य आदि बुलाये जाते हैं, उसी प्रसार अन्य काव्यों के प्रेम रुग्ण नायक अथवा नायिकाको देखने लिए लोग एकत्र होते और प्रेम रोग होनेका निदान यरते है । पदमावत, मधुमाल ति, चिनावली सभी में यह प्रणय चाँदकी काम वेदना और मैनाकी विरह वेदनाकी तीवता व्यन करनेके लिए दाऊदने बारहमासाका सहारा लिया है। उसी तरह अन्य कवियों ने भी बारहमासाको अपनाया है। मिरगायति, पदमावत, चित्रावली आदि सभी में यह पाया जाता है। इस तरह अपनी विरह व्यथा मैनाने बनजारा सिरजनसे यहा है उसी तरह मिरगावतिम रूपगणि (स्वमिनि)ने अपनी व्यथाका सन्देश बनजारोंकी टोलीयो दिया है। इनके अतिरिक्त भी चन्दायनमे प्रस्तुत कुछ अन्य आदर्श ऐसे हैं, जो रिविध प्रेमाख्यान पायों में देखे जा सकते है ।