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२०-चॉदको देखकर मूरित होने के पश्चात् शेरा आनेपर लोरक विलाप और अपनी स्थितिपर खेद प्रकट करने लगा । तब मन्दिर देवताने बताया कि अप्सराओं था एक समूह आया था। उन्होंमसे एक्को देखकर तुम मूर्षित हो गये । (१८२ १८३) २१-उधर चॉदने रिरपतको गुलाकर अपनी व्याकुलता दूर करनेको कहा। तब विरस्पतमे मन्दिरमें पेटे जोगीकी ओर सस्त किया । चाँदने उसे मजाक समझा। बोली-जिस दिनसे तोरकपो देखा है, वह मेरे मन बस गया है। मैं उमबी हूँ और यही मेरा पति है । तर पिरस्पतने बताया कि वही रोरक तो तेरा भिरपारी है और तेरे दर्शन के निमित्त ही तो वह जोगी यना बेटा है और तुझे देखते ही मूर्छित हो गया था । ____ तब चाँद बिरस्पतसे बोली- तूने नहीं बताया कि मन्दिरम लोरक है। नहीं तो उसके योग्य मैं भक्ति युति करती। उसने घृत भरे वचन मुनती। पैर, तुम जाकर कहो कि अब यह अपना भस्म और कन्या उतार दे। चिरस्थत पान मिठाइ रेकर मन्दिरम गयी और लोरसे जोगीका वेश त्यागकर घर जानेको कहा । लोरक योगी वेश त्यागकर अपने घर गया और बिरस्पतने आकर यह सूचना चादका दी । (१८४ १९१) २२--घर आपर लेरक चॉदर विरहमें स्थिर न रह सका और बार बार मन्दिर की ओर आता और चाँदके लिए रोता रहता। सारे दिन वह बन नगरमे घूमता रहता और रातको गोवरम आता-कदाचित् एक क्षणके लिए चॉद दिखाई दे जाय । उधर चाँद भी गरको पियोगमें छटपटाती रहती| उसकी समझम ही नहीं आता किलोरक से किस प्रकार मिलाप हो । अन्तमे उसने एफ दिन बिरस्पनको लेरकके पास भेजा। विरस्पत लेरकको साथ लाकर चाँद के धौरहरका मार्ग दिसा गयी । (१९२ १९८) २३--ओरकने बाजार जाकर पाट सरीदा और उसका नीस हाथ लम्बा एक बरहा (मोटा रस्सा) तैयार किया। उसमें बीच बीच में गा लगायी और ऊपर एक अकुश बांधा । उसे देखकर मैंनाने पृछा कि यह बरहा क्या होगा तो लोरक्ने कहा कि एक भैंस बिगडैल हो गयी है, उसे बॉधूंगा । (१९९) २४-भादोंदी घोर अँधेरी रातमें लोक बरहा दर चला। मगर अंधरेमे उसे कुछ पता ही नहीं चलता था कि चॉदका आवास किधर है । इतनेम बिजली काँधी और लोरकने उसे पहचान कर घरहेको जोरोंसे ऊपर पना | बरहा जब ऊपर पहुंचा ता उसकी आवाजमे चाँद जागी और अकुरीको चौखम्भेरो लगा देसा। उसने नीचे झान कर देखा तो लेरक्यो सडा पाया। तत्काल उसने जरी निकालकर मरहेरो नीचे गिरा दिया 1 लोरक यार-चार बरहा ऊपर पकता और हर चार चाँद हसकर उसे नीचे गिरा देती । जव उसने अनुभव किया कि लोरक परेशान हो गया है और अन यदि कुछ करती है तो वह नाराज होकर चला जायगा और पिर कमी न आयेगा, तो वह अपने कियेपर पछताने लगी। जर फिर रहा अपर आया तो दोहकर उसने उसे पषड लिया और उसे सौंचकर खम्भेतक लायी। जर शेरकको रस्सीके सहारे ऊपर आते देखा तो वह चुपचाप चारपाइपर जाकर लेट गयी। लोरफने ऊपर आकर चाँदका