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काव्यका नाम दाऊद रचित प्रस्तुत काव्यके नामके सम्बन्धमें माताप्रसाद गुपने आगरा सस्मरणकी भुमिकामे लिखा है कि इस रचनाफा नाम चन्दायन प्रसिद्ध है, किन्तु रचनाका जितना अश प्राप्त हुआ है, उसमे यह नाम कहीं नहीं आता है । इस ग्रन्य में इसका नाम लोरकहा आता है जो लोरकथाका अपभ्रश है- तोर (लोर ) कहा म, यह बँड गाँऊँ । कथा काय कह लोग सुना। अत. जबतक अन्यत्र चन्दायन नाम न मिट जाये लोरकहा ही रचनाका वास्त विक नाम माना जायेगा। हो सस्ता है कि इसका नाम लोरकहा ही रहा हो किन्तु पीछे यह रचना चन्दायन नामसे प्रसिद्ध हो गयी हो। (४० ४५)। माताप्रसाद गुप्तकी यह धारणा वेवल कल्पना प्रसूत है। निम्नलिखित तथ्योपर यदि ध्यान दिया जाय नो स्पष्ट प्रकट होगा कि उसका कोई महत्त्व नही है- (क) दाऊद रचित इस ग्रन्थकी परम्पगमे अबतक जितने भी प्रेम-काव्य रचे गये है, उन सबका नामकरण नायिकाके नामपर हुआ है, नायक के नामपर नहीं। यथा-मिरगावति, पदमावत, इन्द्रावत आदि । इस परम्परावे होते हुए यह सोचना कि दाऊदके अन्यका नामकरण नायकके नामपर लोर-कहा हुआ होगा, बापने आपमे भ्रम जनित है। (स) प्रत्यका नाम लोर-कहा सिद्ध करने लिए माताप्रसाद गुप्तने जो पति उद्धृत की है, यह मनेर प्रतिमे प्राप्य है। यहाँ पाठ स्पष्ट रूपसे तोर कहा है लोर कहा नहीं । ते के दोनों नुोंने अस्तित्व के प्रति किसी प्रकारका सन्देह नहीं किया जा सकता। फिर भी यदि मानाप्रसाद गुप्त की ही बात मानली जाय कि मृरु पाठतोर-पहा है तोर कहा नहीं, तो भी उससे किसी प्रकार ग्रन्थका नाम लोर-पहा होना सिद्ध नहीं होता । उद्धृत पतिम लोर-वहाको लोर-कथाका जप भ्रश रूप मानसे पक्ति में व्याकरण दोष उपस्थित होता है और पक्ति अर्थहीन हो जाती है। पतिवी सार्यरता भी है जब कहाका माव कथन एमे लिया जाय । (ग) दाऊदने अपने काव्यमे कथा शब्दका प्रयोग अनेक स्थलोपर किया है जिस कडवकसे विचाराधीन पक्ति उद्धृत की गयी है, उसीमे एक पति है-कथा फक्ति के लोग सुनावउँ (३६०१४)। अन्यत्र दूसरी पक्ति है-कथा काय परलोक नितारभ, लिस लॉयों निह पात (२०१७)। यदि दाऊदका अभिप्राय इस पत्तिम मी कथासे होता तो वे कथा ही लियते, उन्हें अपभ्रश रूप कहाची अपेक्षा न होती। इस प्रकार मातामसाद गुप्तचे पाम यह कहनेका कोई आधार नहीं है कि अन्यका मूल नाम लोर-कहा था। दाऊदने स्वय ग्रन्थम कई स्थळेमें ऐसे समेत प्रभुत १इन तथ्योगी और विश्वनाथ प्रसादने अपनी प्रस्तावनामें ध्यान अष्ट रिया है {पृ० ३.)। उन्होंको बालों को मैंने यहाँ अपने दगार प्रस्तुत किया है।