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पृ०१२ में दी गयी पाद टिप्पणीका रूप वस्तुत इस प्रकार होना चाहिये-- ये मलिक मुरारिक उन छोए मुबारिकसे सर्वथा भिन्न थे, जिनकी कत्र डलमऊ किले के खण्डहरमें है। पृष्ठ २७-प्रमग विचार के आधारपर मुद्रणालमें कतिपय रहको निर्धारित स्थानमे परिवर्तन किया गया है, जिसके परिणाम स्वरूप अनुपलब्ध पडवोकी सूची अब इस प्रकार है-१ १६, १९, २३, ३४, ५५६५, १२३, १५३, १८० १८१, २८२ २८६, ३०० ३०३,३१०, ३२१, ३३८ ३४३, ३४५, ३६२-३७० ३८३ ३४८, ४१. और ४५४ ४५३१ पृष्ठ ६५~-लोकप्रियता शीर्षकके अन्तर्गत दूसरी पक्तिम शेख बदरुद्दीन म्यानपर पाठ शेख तकीउद्दीन होना चाहिये । उसी प्रसगमे लताफ्ते कुदूसियामे चन्दायन सम्बन्धम जो कुछ पहा गया उसकी चर्चा करते समय पादटिप्यानीमें उसका मूल उद्धरण छूट गया है। यह इम प्रकार है-~- हजरत दुतवी दर इन्तदाये हाल सास्तन्द कि नुरखए चदावन हिन्दवी राय फारसी कुनद । बाद अजय याने तौहीद व नात खास्तन्द कि दर मेराज चीज बेनबी सन्द । दर चन्दायन मेराज न धूद ।"ई नुहाये फारसी चन्दायन विमयार शुद बूद दर हादसये मुल्तान बहलोल के श सुल्तान हुसैन मकातिला या शुद फोत शुटा । अर्थात् हजरत चुतबी (अनुदूर गगोही) आरम्भसे ही चाहते थे कि ये हिन्दयी ग्रन्थ चन्दायनका पारसीम अनुवाद करें। वे यह भी चाहते थे कि तौहीद और नात (ईश्वर और पैगम्बर)र वर्णनये पश्चात् मेराज (पैगम्बरवे स्वर्गारोहण), सम्बन्धम भी लिखें क्योति चन्दायनमें मेराजका अभाव था। चन्दायन अन्यका कापी अश अनुवाद हो चुका था। स्न्तुि वह सुलतान बहलोल और सुल्तान हमेनो बीच हुए युद्धमे बार हो गया। कडवक २६९ पजार (ल.) प्रतिमें भी प्राप्त है, किन्तु उसका पाटान्तर टूट गया है। उसरे पाठान्तर इस प्रकार है- पक्ति रेण्डस् पजान पृष्ठ पटा होनसे अप्राप्य । ११२ जीर सॉसत भयडे जिय के माँसा मयक २११ पृष्ठ पटा होनेसे अप्राप्य | ३११ चिहि ४६१ मरी मरा ४२ जिइव धरी जिय को न धरा चल देउ हत्या महि लागी देउ डरान मह हत्या लयी निसरा डर भागी निसर गा भागी कुँवर तरायी देते, नाउन जिी धुद। पृष्ठ पया होनेसे अप्राप्य । ११ ५१ ५१२