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____ऊपर बरामदेसे पन्दाने रस्सीका पन्दा नीचे गिरावा टाकि लोरी उसके सहारे ऊपर आ जाय। लेकिन जब लोग रस्सी पकडने गता, चन्दा रम्सी खींच लेती। इस प्रकार कुछ देरतक चन्दा हँस हँसकर मनोविनोद करती रही। जब उसने देता कि लोरी परेशान हो गया तो उसने रस्सी खींचना बन्द कर दिया और वह उसके सहारे ऊपर चढकर बरामदेमे पहुँचा। उसे देखते ही चन्दा कमरेमें छिप गयी। लोरी बड़ी देरतक उसे ढूँदता रहा । अन्तमें जब उसने चन्दाको ढूँढ लिया तो दोनों रातमर सहवास करते रहे। __ मुबहको जब लोरी जागा, तो जल्दी उसने पगडोकी जगह चन्दाका लहर पटोर (दुपट्टा) उठाकर सिरपर रूपेट दिया और रस्सी सहारे नीचे उतर आया और पिर विभिन्न ज्योढियोरे पहरेदारोंको मेंट देता हुआ अपने घर लौट आया । इतनेमें परेटिन (घोविन) जो चन्दावे कपडे घोतो थी, लोरीरे घर गयी। वहाँ उसने चन्दारे लहर पटोरको देखकर पहचान लिया और दोनों प्रेमको यात जान गयो । वहाँसे वह चन्दाका लहरपगेर ले आयी और चन्दाको देवर लोरीको पगडो ले गयी । उस दिनसे वह उन दोनोंपे बीच दृतीका काम करने लगी। ___ इस तरह दोनोंका मणय सम्बन्ध बहुत दिनोंतक चलता रहा । अन्तमें दोनोंने अपना देश छोडकर दूसरी जगह भाग जानेका निश्चय किया। और एक दिन दोनों घरसे निकल पड़े। गाँववे बाहर ददहान (गोशाला) था । वहाँ चन्दाका मामा रहता था। उसने लोरी और चन्दाको तीन दिनतक बढ़े जारामसे रखा और उन्हें पर और अनेको समझाता रहा । पर वे न माने और वहाँसे चल पड़े। चलकर एक जगहमें पहुंचे। उस जगल्म एक महल था, जिसमें खाने-पीनेका बहुत-सा सामान और बहुतसे नौकर- चारर थे। ये दोनों उस महल्में घुस गये और भोटरसे चारों ओररे दरवाजे बन्द कर लिये । वहाँ वे मुखपूर्वक रहने लगे। छ मास पाद नब बावनवीर जागा तो चन्दाको न पार हैरान रह गया । पीछे उसे नर अपने सारेसे पता चला कि वह लोरीके सग भाग गयी है तो वह उसे ढूँढने निकला और उस जगलमें पहुँचा, जहाँ वे दोनों प्रेमी रह रहे थे। जब उसे मालूम कि वे दोनों उस महल्के भीतर हैं तो उसने दरवाजेको खोलने-खुल्वानेको बहुत कोशिसकी, पर साल न हो सका, अन्ततोगत्वा निराश होकर रोट आया । . एस० सी० दुवेने फील्ड साँग्स आव छत्तीसगढमें इस कपाको एक अन्य रूपमें प्रस्तुत किया है। इसरे अनुसार चन्दैनी लोरिषकी ओर उसको वीवी ध्वनि मुनपर आरट होती है। वह लोरिकको बताती है कि महादेव दारसे उसका पति निकम्मा हो गया है । यह लोरेसने झूला दुग देनेका अनुरोध करती है । तब वह उससे पान मांगता है। शुग हुलते समर जर झूला उपरकी ओर जाता है, १- ४१४८।