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रस्सी लेकर लोरिक चन्दैनीकी सिडकी के पास पहुंचा और रस्सी ऊपर की । चन्दैनीने उसे लौटा दिया। लोरिकने दुबारा रस्सी पेंकी। चन्दैनीने पिर लौटा दिया । जर चन्दैनीने इस तरह तीन बार रस्सी लौटा दिया तो रोरिक ने चिल्लाकर कहा- यदि इस बार रस्सी नहीं पक्डोगी तो मैं अपना सिर काट दूंगा। चन्दैनी डर गयी और उसने कमन्द फंस जाने दिया | लोरिक चुपक्से ऊपर उसके कमरेमें आ गया। दोनो प्रणय प्रलाप करने लगे। अन्तमें दोनोंने नगर छोडकर भाग चलनेका निश्चय किया । उस रात भी लोरिक देर तक सोता रह गया और सोज- द्वेद होनेपर जल्दी जल्दी उठकर भागा । जल्दी में फिर चन्दैनीती साडी पहन ली और धोबिनने उसे देख लिया और लेकापवादसे बचाया ।। चन्दैनी घर छोडकर भागनेका मुहूर्त पूछने पाहाणके घर गयी। ब्राह्मणने मगलवारका दिन उपयुक्त बताया। तदनुसार चन्दैनी मगल्वारको भागनेके लिए निर्धारित स्थानपर गयी पर रिक नहीं आया । वह सोचती हुई कि अब मैं उससे भी न बोलूंगी घर आयी । वहाँ उराने लोरिक्को अपने साटपर सोता पाया । चन्देनी- से उसने कहा-मैंने गाँजा अधिक पी लिया था। इससे समयपर जग न सका। क्ल घोसा न होगा। दूसरी रात भी लोरिक न आया । इस प्रकार नित्य चन्दैनी भागनेकी तैयारी करती पर लोरिक न आता। अनः एक दिन रातमें चन्दैनी गरेमें घटी याँधकर लोरिकके घर पहुँची और घर बाहर छप्परपर पैली बेल्पो सींचा | उसके गलेकी घटी बज उठी । ऐसा लगा, जैसे किसी गायने वेल सींची हो और उसके गले घटी बजी हो । मजरियाने आवाज सुनी। वह भीतरसे ही चिल्लाई। चन्दनी एक गयी और फिर रुफ्फर घटी बजाने लगी। सोचा था, मंजरिया गायके भगानेके लिए रोरिकको जगायेगी, पर यह खुद ही निकल आयी। चन्दैनीको देखकर उसे पीटने लगी और दूर तक सदेड आयी। थोड़ी देर बाद फिर चन्दनी देवी देवताओंको मनाती आयी। देता रोरिक मजरियाकी याँहपर सिर ररावर सोया हुआ है। उसे धीरेसे जगाया ।। । रिक्ने कहा- हाँ, आज भाग चलेंगे। और धीरेसे एक. कम्बल और राती उटाहर चलने सस अपचन्दनीकी यारी थी। बोली-मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगी । तुम पिसी- के हाय च दोगे, पिसी नारेमें मुझे दवेल दोगे, या किसी चरवाहेको दे दोगे। जानती हूँ मैं गुबसूरत हूँ, तुम किसीदे हाय बेंच दोगे । पिसी दूर देशर्म बेच दोगे। मैं तुम्हारे साथ भी चलूंगी, जर तुम अपने सर पपड़े पर मेरे साथ सदावे लिए निपल पडो परतः रोरिक अपने सब कपड़े पर चलनेवो तैयार हो गया और योला-हम लोग गद हरदी चलेंगे। नन्देनी बोले-म तुम्हारे साथ तरता नहीं चर उपती, जातक नुम्हारा पौरुष न देप ।