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३९६ लोरिक्ने कहा-उसकी व्यवस्था मैं कल कर दूंगा | आज खेल लेने दो। यह सुनकर भीमल्ने रजईसे यहा-न जाने कहाँका मूर्स आकर मजाक कर रहा है । उसे धका देकर निकाल बाहर करो। यह सुनकर रजई लोरिकके पास आया और उससे भिड गया । पर वह लोरिकका कुछ न बिगाड सका । तर दूसरे असाडिये भी आ जुटे पर लोरिकने रामको झटक दिया । अन्तमें भीमल स्वय लोरिक्से आ भिडा । उसे भी लोरिक्ने देखतेदेखते परास्त कर दिया । यह देखकर जो लोग वहाँ थे, वे भागकर हरदी पहुँचे और जाकर सारा हाल राजासे कहा। राजाने यह सुनकर अपनी सारा सेनाको तत्काल तैयार होनेका आदेश दिया। जब चन्दाने राजाको सेना लेकर जाते देखा तो स्वय भी अपनी ससियों के साथ नदी के किनारे पहुँची और राजाको न मारनेका जो वचन लोरिक्ने दिया था, उसे दिया कर फौज वापस ले जानेको प्रेरित किया और साथ ही लोरिक्के क्रोधको भी शान्त किया। उस समय तो राजा वापस सैट आया। मगर लोरिक्का हरदीमे रहना अपने लिए रातरेसे साली न देस मन्त्रीसे कोई ऐसा उपाय करनेको कहा जिससे यह शत्रु सहज ही टल जाय । यह सुनकर मन्त्रीने कहा-इसका सीधा उपाय है। हर साल नेउरपुरका हरेवा दुसाध हरदी आग है और छ. मासी एक्त की गयी सामग्री एक ही दिनमें समात कर देता है और उससे सारे हग्दीवासी परेशान हो उठते हैं। अत इसे उसीरे पास भेज देना चाहिए । उससे कहा जाय कि हरेवाने नेउरपुरमें ज्येष्ठ राजकुमारको यन्दी पर रखा है। उसे छुडा लाओ। इरा योजना अनुसार रोरिक्से नेउरपुर जानेको कहा गया । लोरिव घोडेपर सवार होकर नेउरपुर पहुंचा। भागेको स्था उपलब्ध न हो सकी। जे० डी० बेगलरने अपने १८७२ १८७३ ई० के पुरातत्वान्वेषण यात्राके विवरणमें बडागाँव (जिला शाहाबाद, निहार) में प्रसगमें लोरिकन्चन्दाकी कथा सक्षित रूपमें दी है। उसमें आरम्भिक पधाओं यथा-लोरिकका जन्म, मजरीये विवाह आदिवी चर्चा नहीं है। उन्होंने पेबल लोरिक चन्दाके प्रेमी पथा दी है। उसम नेउरपुरवाली कथा भी नहीं है, फिर भी उससे वारे अन्तका कुछ आभास मिलता है। गलरवाले रूपको डब्लू० अपने अपनी पुस्तक पापुलर रेलिजन एण्ड पाक- रोर आव न इण्डियाम और वेरियर एलविनने पोकटोर आफ छत्तीसगढ में लगमग अविरल रूपमै उद्धृत किया है। यही वह हिन्दीये कतिपय प्रन्याम मी उधृत हुई है। उगरे अनुसार क्या इस प्रकार है :- १. समाजिर रिपो', १८७२७३, सह ८, पृ० ७९-८० । २. सण्ट २,१० १६०.१६१ ३ पृ.३३८.