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३८१ पहा-तुम निश्चित रहो । रिकका कोई कुछ विगाड नहा सकता। माताको तो समझा बुझाकर घर भेजा और स्वय पूरी तैयारी के साथ वह बोहा बथान पहुंचा और सोते हुए वरू को जगाया और उसे लेकर अगोरिया चल पडा। __ जब दोनों सोनपीके किनारे पहुंचे तो वह खूनकी धारासे भरा हुआ दिखाद पडा । दोनोने सोनपीको कूदकर पार किया और पूर्व दिशाकी और दूरपर उहे मजरीके डोलेका पर्दा चमकता हुआ दिखाई पडा । उसे देखकर मिताने सवरूको दिसाया। तब सबस्को विश्वास हुआ कि भाई अभी जीवित है। मिताने कहा-मैं यहीसे बैठे-बैठे लेरिकका पता लगाता है। यदि चौसापर लोरिक होगा तो जो दाव में फेंक रहा हूँ, उसे वह रोक लेगा, यदि कोई शत्रु होगा तो मेरा यह दार वापस लौट आयेगा । इतना कहकर मिताने तितली बाण छोडा। उस बाणको देखते ही मजरीने लोरिक्से कहा---तुमने इतनी बड़ी सेनाको परास्त तो कर दिया, परन्तु अब जो यह चाण आरहा है, उससे बचना कठिन है। ___ यह सुनकर लोरिकने कहा-लडाईके कारण मेरी आँखों में खून भरा है, इसलिए पूर्व-पश्चिम कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। बताओ किस औरस वाण आरहा है और कितना तेज आ रहा है । मजरोने बताया-वाण पश्चिमसे आ रहा है और धरती आसमान बीच गरजता हुआ आ रहा है। लोरिकने पहा-निश्चय ही यह मेरे गुरूका बाण है। इतनेमें बाण लोरिकके पास आ पहुँचा। लोरिकने उसमें अपनी आती लगा दी। वाण मिताके प्यारसे लोरिकको चूमने लगा। इस प्रकार पाणको गये जर एक घण्टा बीत गया और वह नहीं औटा तो मिताने जान लिया कि लोरिक जीवित है। दोनों चौसाकी ओर चल परे | लोरिक मिता और सवरूको आते देखकर उठ खडा हुआ और उन दोनों से गले मिला। मिताने संवस्से कहा कि अब यहाँ रहनेका कोई काम नहीं रह गया, वापस चलो। लेकिन सवरूने कहा-जब आये ही है तो चलो अगोरिया चले और वहाँसे गन्ना और दोंगा' दोनो ही रस्म पूरी कराते चलें। अगोरिया पहुँचकर सँघरूने डोल्यो चौकपर रसवा दिया। इन लोगीको देखकर मलपरित पहले तो बहुत भयभीत हुआ और डरके मारे सिंहासनसे उठ सडा हुआ। पिर सम्हलकर बोला-एक बात मेरी मानो। मैं यह त्रिशूल गडयाता हूँ, जो इसे उसाड लेगा मजरी उसीकी पत्नी होगी। यदि त्रिशुभ नहीं उखडा तो मजरी मेरी हो जायेगी। इतना कहकर उसने त्रिशूल गडवा दिया। सवरूने लोरिक्से कहा-युद्ध करने कारण तुम थक गये होगे इसलिए तुमसे शायद न यह त्रिशूल उखड सने । यदि मजरी राजाकी पत्नी हो जायेगी तो अपतक किया हुआ सारा श्रम व्यर्थ हो जायेगा । कहो तो मैं इसे उसाह, 1 १ गौनाके पश्चात् वभूको उसरे मैक्से लानेकी रस्मको "दोग" कहते हैं।