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३७४ अपने सत्या ध्यान किया और अपने सत् बल्पर वहीं खिचडी तैयारकर लोरिको सिला दिया । पश्चात् पति और पत्नी बीचमे सड्ग रसकर सो रहे। जर दिया लौटवर मल्यगितके दरवारमें नहीं पहुंचा तब मल्यगित चिंतित हुआ। उसने दूसरी बार पानका पीडा रसपर पूर्ववत् घोषणा की । घोपणा सुनकर ऊदल पँवार सामने आया और पान उठावर सा गया । फिर वह कधेपर लाठी रसर मडपमें घुसकर कोहबरपे दरवाजेपर लागे रसपर सटा हो गया। फिर उसने सोचा कि अगर लोगोंने मुझे यहाँ खड़े देस लिया तो वे मुझे चोर पहरर पुपारेंगे और मेरी वडी बदनामी होगी। अच्छा तो यह होगा कि नाकर महराकी सब गायोंको भगा लाऊँ। यह सोचकर वह सरिका बथानपर पहुंचा और महराकी सब गार्योको सोल्कर सचल्यिा बाजारकी ओर ले चला । तर नन्हुआ चरवाह उसके पास आया और पूछा-हमसे क्या गल्ती हुई है, जो हमारी गायोंको तुम लिये जा रहे हो । क्या उन्होंने राजापा सेत चरा है या फुल्वारी उजाडी है। अदल बोला- तो उन्होंने सेत साया है न फुलवारी उजादी है, पिर भी मैं उन्हें ले जाकर सचटी याजारपे भाठामें दूंगा। अगोरियामें महराका जो दामाद है, उसे जब यह सपर मिलेगी तो वह गायोंको छुडाने आयेगा, उस समय मैं उसे मार सानंगा । इस प्रकार राजाने प्रति अपना वचन पूरा करूँगा। अगर वह निर्मल होगा तो मेरा नाम सुनकर ही मजरीको छोडवर रातोरात गौरा भाग जायेगा और मैं मजरीको राजा रनिवासमें पहुँचा दूंगा। यह फहसर ऊदल गामोंको हेपर सचलीये याजारमें पहुँचा और उन्हें भाठेमें देवर सडक किनारे आरामसे सो रहा । नन्दुआ भागा हुआ अगोरिया पहुँचा । और मकान पिछवाड़े जाकर जोरखे चिल्लाया-मामा हमारे मिन नहीं, शनु हैं। जिस दिनसे बारात आयो है, उस दिनसे हमारी गायॉप उपर आपत्ति आ रही है। और महपकी ओर जाकर गाली देने लगा। लोरिक्की नींद खुल गयी और मजरीसे बोला-इतनी रातको गालियों कोन वह बोली-आजकी रात नुम गालीपर मत ध्यान दो। समुराल भाये हो । शत्रु मित्र सभी गाली दगे। रोरिव इय उत्तरसे सन्तुष्ट न हुआ । और उठपर नन्दुआके पास पहुँचा और गाली देनेरा कारण पूछा। नन्हुआने जर उसे स्थिति यतायी तो लोरिप उसके साथ चल पहा और राचलिया बाजार पहुँचा। पहुँचते ही उसने माटाका पाटक तोड दिया । सब गाणं निपल यादर दो गपी । उस याद वह ऊदल्फे पास आया । उसे सोना देस बोला--- सोए हुए शयुषो मारना अपराध है। यह मुनकर ननुआ उदयो जगानेकी कोशिश घरने लगा पर उरफी नाद टूटती ही नहीं थी। तर उसने पास पटी भेडोंये पुष्टयो पोल्पर भटका दिया । ये