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३६५ ताकि ये सामानको पपड़े रहे। फिर सूर्यको साक्षी बनावर गगाको प्रणाम कर निवेदन किया-तुम मेरो धर्मको मॉ हो । बिना सेरदयावे इनसे पार लगा दो। उसका इतना कहना था कि टोकरी पानीमे हवा के समान उड़ने लगी और दूसरे किनारे जा पहुँची। सँवरू, लोरिक और मितारजइलने एक साथ नदी पार पिया और पिर तीनों अगोरिया की ओर चले। कोठवा शहर पहुँच कर वे लेग रुक गए । दूवेने सॅवरूसे कहा-चलते चलते मेरे पैर थक गये हैं, कुछ भोजन कराओ। यहाँ दारायको बारह भठियाँ चलती हैं। कुछ शगर भी लाओ। तदनुसार सँस गया और एक पल्वारिनकी भट्टीमे शराब लाकर पिताको दे दिया। उसे चसकर यह प्रसन हो उठा और बोला-भाई चिना मासके तो यह पीका लग रहा है। जाकर मास भी लाओ। सँवरू मास लाने चला ।रास्लेम उसे कोटवारे राजाचा बारा दिखाई पड़ा। संबरू उसे पक्ड लाया और इसका उसने मास तैयार किया। रा पोकर जब बचे काका मस्त हो गये तो बोले-जाकर किसी अहिरिनको बुला लाओ जो अच्छी रसोई बनाये। सँवरू अहिरिन खोजने निकला । सोजते सोजने उसे एक ऐसी बूढी अहिरिन मिली, जिसके हायका र खाना भी रट पसन्द नही करते थे। उसका ए एश्वरने ऐसा बनाया था कि अवरू उसे देखकर ही लौट आया। आर यह बात अपने पिता से कही। सुनकर वे बोला-अहीरके लडके होर तुम मूर्य ही रहे। छोटी अवस्था से ही तुम्ह मालिक बना दिया पर अभी तक कुछ अक्ल न आयी। तुम उसे ही बुला लाओ। सँवरू उमे आनय करके ले आया और पाँच घडोंसे उसे स्नान पराया, पिर ब्याहुती पिटारीमसे एक दक्षिणी साडी निकालपर उसे पहनाया । तब उसने अन्न लेकर भोजन तैयार किया। तीनों व्यक्तियोने बड़े प्रेममे साया। पिता और संवरूनो सावर चौक्से उठ गये, चूने वही हाथ धोया और पिर उन्हाने उस बुढियाको हाथ लगा दिया। वह रोती हुई राजाके दरबारम पहुँची और परियाद की कि चूने मेरी इजत नष्ट कर दी। राजा इसपर विचार ही कर रहा था कि मनिया दुसाध आया और बोला- वे रोग आपका बकरा मारकर सा गये। वह गया ही था कि कम्पारिन आयी और योगी-जिन्दोंने आपका बकरा मारकर साया है, उन्होंने मेरी शराय पो है और उसका एक कौडी भी नहीं दिया । यह सब सुनकर राजाने मत्रीको आदेश दिया कि सेनायो टुक्म दो दि जाकर उस अहीरको लूट ल। सेना आते देख वनेने धोती सोल्कर पम्मी बाधा, पिर साइये एक पेडको उखाडकर उसये दो टुक्डे क्थेि । एक्यो बगरम दबाया और दूसरे हाथमे ले लिया। इतनेम राजारी सेना आयी और वो घेर लिया । अपने चारो ओरस पिरा देनार ये एक ओर मुग और साड माजना आरम्म दिया। पर राश