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दउर साँड अजयी तर दीन्हाँ । तावर टूटि लोर विह चीन्हाँ ॥४ तोहि उठि के भये अँकवारा । [...-] के मैं तो मारा ॥५ काहि लागि हूँ हाँक्सु, उठ आपुन घर आउ ।६ आगें दइ लोरक लेतस, चाहि पूत तुम्ह पाउ ॥७ ४५० (लिण्ड्म ३२४) दर खान आमदने औरक व पाये मादर उस्तादन (लोरका अपने घर आकर मौके पर पदना) चढ़ तुरी लोर घर आवा । पाएँ लागि के माइ मनावा ॥१ नित कहि अम पूत न कीजइ । वृद्धि माद कहँ दुख न दीजइ ।।२ खोलिन बहुएँ दोऊ आनी | चाँदा मैना दोनें रानी ॥३ पायें परी अँकवारी धरी । काजर सेंदुर दोऊ करी ॥४ अगिन परजार क रसोइ बघारा । कोठा बारी सेब सँवारा ॥५ चाँद मुरुज ओ मैनाँ, चरस सहस भा राज 1६ गावहिं गीत सहेलियाँ, गोवर वधारा आज ॥७ टिप्पणी-(1) काजर-बाल । संदुर-सिन्दूर। (५) बधारा-चौका, मन्गया। कोटा-अहाल्किा । वारी--पर। ४५१ (रीलंण्ड्स ३२५) पुरर्मदने लोक मादर य व जबार दादने मादर (ोरकमा माले पुछना और माँका उत्तर देना) लोरक पूउहि कहु महिं माई । कित धनि मैंना कितहुत भाई ॥R तारें पाई पावन आवा । येनां मना गाड़ी लावा ॥२ अजनी कर सगर उठ धावा । पेनां मैंना आइ इदारा ॥३