यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३२८ ४४१ (रीलैण्ड्स ३१६) जवाब दादने मैना माली बर मैना रा (मालीका मैनाको उत्तर) महिं नहिं कुरधी ही परदेसी । ताहि सँझाइ मोर सहदेसी ॥१ सो देखि मँहको घरहिं चलावा | गोवर वसद मैं देखन आवा २ महरि देखि ही दही कहँ आयउँ । तोर बिरह जस अउर न पायउँ ॥३ तर तूं सुधि लोर के पावसु । लइकै दूध जो येगा आवसु ॥४ फूल मोर तोरे झार सुसाने । छार भये औ जरि कुँवलाने ॥५ बहुल लोग पुर आया, मकु न बोल सुधि कोइ ।६ गॉ आउ तिह येचें, औ तहाँ मिराया होइ १७ टिप्पणी-(१) कुरधी-घर परिवारमा व्यक्ति । सहदेमी-समान देशका वासी; अपने देशका निवासी । यहाँ तात्पर्य अपने गाँव नगरके निवासी (२) यमद-वस्ती। (५) द्वार-(स. स्वाल), अग्नि । सार--(स० क्षार), रारा । (७) मिरावा-मिलाप, भंट। ४४२ (रोलैग्दम ३१७) रफ्तने मैना या सहेरियान दर वेगाँ व तदवीदने लोरक भना रा (महरिपॉके साथ मनाया येगा जाना और लौरका मैनाको युलाना) दिन भा मैंना वेगॉ गई । और सहेली चुनी दस लई ॥१ बेचत दूध घर [घर"] गयीं । दही कह लोरहिं महरि युलायीं ॥२ महरी जब सब लोरक देसी । देसत मैना और न लेसी ॥३ [-] लोर चाँदा कहँ बोलमु | सीप सिंदूर चन्दन तन घोलसु ॥४ [आगों ] छाडि जो पाठों आया ! चमक चमक धनि पाउ उचाया 11५