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ह्य राई' हो । पर सकी कोई सगति नहीं बैठती । निपर-निकट । कार-दुलार । (२) रहँसि-हर्पित होकर, प्रसन्न होकर । कैमन-घोडा । (३) पुरया-घोडा । ताजिन--(पा० ताजियाना)-चाबुर, कोटा। (५)पर हिये यह अशुद्ध पाठ जान पडता है। गुद पाठ होगा "पर हिते"*सा कि वम्बई प्रतिमें है । (६) आय-अगोकार क्यिा । (रीटेण्ड्स २८१) मलाये खाना व कनीजगान व गुलमान व जामहा पारितादने राव लोरक रा (ोरकके पास रावका गृहस्थीका सामान, दासी, नौकर और धन आदि भेजना) जना सहन रचि राउ दौराये। चींवर कापर पाग पहिराये ॥१ डला चीस फरि भरि लीन्हें । ते लै चरहिं माथें दीन्हें ॥२ चेरहि कार काँध किया । हरदि लोन तेल सब दिया ॥३ चेरी दस चेर अभरन दीन्हें । अउर संजोग जो काउ न दीन्हें ॥४ आँनों भाँत खजहजा अहे । खाट पालकी पालंग लहे ।।५ भल अभरन रानी दीन्हें, चाँद पहिरन जोग ।६ लोर चाँद कहँ मया अस कीन्हें, कौतुक भयउ सो लोग ॥७ ३९७ (रीरंण्ड्स २८२ · यम्बई ७) परश कदंने लोरर दर पाटन रा (पाटन नगरमें होररमा दान) टाँका मौ एक लोरक' लीन्हा । पीर पालि नाऊँ कह दीन्हां ॥१ औरहिं दीन्हि जिह' जम जानाँ | सर लोगर्हि कह देतसि पाना ॥२ चीर वस्तर आगे ले आये । जे आये सो समुद चलाये ॥३