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२९७ बहु वितान बहु भॉति कँदारा । सरै ईट लाइ सुधारा ॥२ चउतरा ऊँच नीक घोरसारा । लै लोरक सिंह घर पैसारा ॥३ अरसी काढि लोर कर दीन्हें । पात पूछि के नाऊँ लीन्हें ॥४ कौन देसहुत्त आये गुसाँई । इह बाटन गॅउने किंह ताई ॥५ नाउँ कहउँ तुम्ह आपन, और तुम जिंइ लग आयहु ।।६ निकरत राउ देखि दरस, सिंह गुन पूछि पठायहु ।।७ (रीलैण्ड्स २७७ बाबई ५) जवाब दादने लोरक मर हजाम रा (लोरकाश नाईको उत्तर) सुनि लोरक' अस ऊतर कहा । सम परिवार गोचर मोर' अहा ॥१ गरह सॅतायउँ कित घर जानहुँ 1 कहा पंडित परदेस दिसावहुँ ॥२ बैरी होई घर रकत पियासा । ले न देहि सुख सॅहि साँसा ॥३ लोरक जाह अहतायी करिहै । मुस देखत हम कान न धरिहै ॥४ जात गरई अहौं विदवारू । लोर गोवर कर नाउँ हमारू ॥५ गोवर का राजा' सहदेउ महर, वहिकै धिय दुलारि १६ जिंह" कारन हम लीन्हि देसन्तर, ऊहै" चाँदा नारि ॥७ पाठान्तर-~म्पद प्रति- भीर्षक--पुर्शीदने मुजइन लोरक, राव गुम्तने लोरव (नाईका लारक्से पूना और रावको उत्तर देना)। १-लोरल । २-मोरो। ३-गरह रताप इँह घर आवटु । (पत्ति ऊपर अन्तम पतले अक्षम दिसि आयहि' लिया है)। ४--येउ । ५-लेन न देइ । ६. लोग जाइ । ७~ही 1 4~-गोवार । ९-गोरर राजा । १०-तिह ! ११--उदै सो।